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क्यों जरूरत पड़ी सेबी की
शेयर बाजार में जब सेबी जैसी कोई नियामक संस्था नहीं थी तो उस समय ब्रोकर्स और शेयर बाजार के खिलाड़ी मनमानी किया करते थे.
बाजार में कब क्या होगा इसकी स्थिति के बारे कोई भी पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता था. शेयर बाजार को दलालों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए एक किसी ऐसे संगठन की स्थापना की सिफारिश की गयी जो बाजार की सभी गतिविधियों पर नजर रखे और किसी गड़बड़ी को फैलाने वाले व्यक्ति या कंपनी को दण्डात्मक कार्यवाही द्वारा प्रतिबंधित करे और जुर्माना लगाए. आपको याद होगा कि वर्ष 1992 के अप्रैल माह में शेयर बाजार में एक भारी क्रैश हुआ था. इस क्रैश के पीछे शेयर दलाल हर्षद मेहता का हाथ पाया गया. हालांकि इसी वक्त सेबी की स्थापना भी की जा चुकी थी. इस काण्ड के बाद भी कई अन्य घोटाले सामने आए जिन्हें रोकने के लिए आधुनिक प्रणालियां स्थापित की गयीं. इस तरह के अन्य किसी गड़बड़ी के दोहराव को रोकने के लिए सेबी को समय-समय पर मजबूत किया जाता रहा है.
क्या है सेबी
सेबी एक तरह का मार्केट रेग्यूलेटर है. भारत सरकार द्वारा सेबी यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना 12 अप्रैल, 1992 को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया एक्ट के तहत की गयी थी. सेबी का मुख्यालय मुंबई में है जबकि इसके उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी तथा पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय क्रमशः नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में है. वर्तमान में इसके चेयरमैन सी. बी. भावे हैं. सी. बी. भावे इससे पूर्व नेशनल सेक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के चेयरमैन थे.
क्या करता है सेबी
मूल रूप से सेबी तीन मुख्य वर्गों से संबंधित जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है.
सिक्योरिटीज को जारी करवाना
निवेशकों से संबंधित
बाजार मध्यस्थों से संबंधित
सेबी इन तीनों से संबंधित कार्यों के निर्वहन में अर्द्ध न्यायिक, अर्द्ध विधायी और अर्द्ध कार्यकारी प्रकृति से संबंधित कार्य करता है. विधायी प्रकृति में यह विभिन्न विनियमों से संबंधित ड्राफ्ट तैयार करता है. अपनी कार्यकारी प्रकृति में सेबी इंवेस्टिगेट और एंफोर्समेंट से संबंधित कृत्य करता है तथा न्यायिक कृत्यों के निर्वहन में यह नियम-कानून भी बनाता है.
सेबी ने अपनी स्थापना से अब तक कई सफलताएं अपने नाम दर्ज करवाई हैं जैसे शेयर बाजार को विनियमित करने के क्रम में टी+2 आधार पर निपटान प्रणाली कायम करना, अनेक नियमो-विनियमों को लागू करवाना ताकि बाजार में होने वाले अप्रत्याशित हलचलों से होने वाले नुकसान से बचा जा सके.
सत्यम घोटाले और हाल के वर्षों में हुए वैश्विक गिरावटों के दौर में सेबी ने कई ऐसे कदम उठाए जिससे भारतीय शेयर बाजार को संभाल कर रखा जा सके. इसने भारतीय कॉरपोरेट प्रमोटर्स द्वारा तैयार किए जाने वाले डिसक्लोजर्स की मात्रा को बढ़ा दिया. इतना ही नहीं इसने टेकओवर कोड को भी लचीला बना दिया ताकि व्यापार को गति दी जा सके.
ट्रिब्युनल का गठन
हालांकि ये शक्तियां इसे काफी ताकतवर बनाती हैं किंतु फिर भी इसके आदेशों के विरुद्ध अपील करने के लिए एक ट्रिब्युनल का गठन किया गया है. वर्तमान में इस ट्रिब्युनल की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एन. के. सोढ़ी कर रहे हैं. यहॉ भी संतुष्टि ना मिलने पर मामला उच्चतम न्यायालय में ले जाया जा सकता है.
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