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इक्कीसवीं सदी की व्यापार पद्धति इलेक्ट्रॉनिक कामर्स

अर्थ विमर्श
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अगर हम शुरूवाती 20वीं शताब्दी में विद्यमान बाज़ार व्यवस्था पर ध्यान दें तो उस समय बाज़ार में विक्रेता का आधिपत्य था. वह अपने मन-मुताबिक वस्तुओं का निर्माण करता था और दाम भी खुद रखता था. परन्तु 1950 के बाद बदलाव का दौर चला विक्रेता का प्रभुत्व समाप्त होने लगा और उपभोक्ता की संतुष्टि को सर्वोच्च मान्यता मिलने लगी. जैसे-जैसे विक्रेता का एकाधिकार समाप्त होने लगा वैसे-वैसे व्यापारियों की कार्यनीति में भी बदलाव आया जहाँ पहले कम्पनियां मार्केटिंग और ब्रांडिंग में पैसे लगाने से बचती थीं वहीं अब वह करोड़ों रुपये खर्च करने को तैयार थीं और यही कंपनियां व्यापार करने के नए आयाम ढूँढने को भी तैयार थीं.

computerजैसे-जैसे मनुष्य आधुनिकता की तरफ़ अग्रसर हुआ है उसने नयी-नयी तकनीकों का विकास किया है. इन तकनीकों के द्वारा उसने आधुनिक मशीनों का अविष्कार किया और एक दिन तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए उसने कंप्यूटर की खोज कर ली. कंप्यूटर की उत्पत्ति के बाद नित नए आयाम खुलने लगे इसी संदर्भ आगे चलकर इन्टरनेट का विकास हुआ. इन्टरनेट के विकास के बाद हम घर बैठे-बैठे दुनियां खोज सकते थे, दूसरों से बात कर सकते थे और जानकारियॉ ग्रहण कर सकते थे. यानी इन्टरनेट था खबरों का भंडार. इसके साथ ही कम्पनियों ने इन्टरनेट को उपभोक्ताओं से जुड़ने का उचित जरिया पाया और इस तरह इलेक्ट्रॉनिक्स और वाणिज्य  का मेल हुआ जो कहलाया ई-कामर्स.

क्या है ई-कामर्स

logoइलेक्ट्रॉनिक कामर्स या ई-कामर्स एक विधि है जिसके द्वरा उत्पादों और सेवाओं के खरीदने और बिक्री का कार्य इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किया जाता है. इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों जैसे कि इन्टरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब इसको संचालित करने के मुख्य तरीके हैं जो इसके वाहक का कार्य भी करते हैं, इसके अलावा ई-मेल, फैक्स और टेलीफोन कुछ अन्य माध्यम हैं जिसके द्वारा भी ई-कामर्स संचालित होता है. ई-कामर्स एक साझा दूरसंचार तकनीकी है जिसके द्वारा व्यापार में भागीदार इकाइयां अपना-अपना उद्देश्य प्राप्त करती हैं. ई-कामर्स का एक मुख्य भाग संचार है.

ecommerceई-कामर्स आधुनिकता की दौड़ में मनुष्य द्वारा उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है. आज व्यापार की मात्रा में असाधारण वृद्धि हुई है. सभी व्यापारिक इकाइयां इस वृद्धि का फ़ायदा उठाना चाहती हैं चाहे वह उपभोक्ता की शंका दूर करनी हो या फिर नए पदार्थ की रूपरेखा तैयार करनी हो, यह हर तरह के व्यवसाय को उचित संचार व्यवस्था प्रदान करता है. आन-लाइन व्यवसाय, आन-लाइन मार्केटिंग, आन-लाइन विज्ञापन, आन-लाइन ट्रेडिंग, आन-लाइन सर्विसेज इसके महत्वपूर्ण कार्य क्षेत्र हैं. यह आप की कम्पनी के खर्चे को कम करता है, सप्लायर और ट्रेडिंग भागीदारों से मज़बूत रिश्ता बनाता है और इसके साथ-साथ यह व्यापार करने का बहुत तेज़ माध्यम भी है.

e-commerceई-कामर्स का इतिहास

समय के साथ-साथ ई-कामर्सका अर्थ भी बदलता रहा है. शुरूवाती दौर में ई-कामर्स का कार्य वाणिज्य क्षेत्र में कारोबारी सुविधा प्रदान करना था. कम्पनियां, ई-कामर्स तकनीक का इस्तेमाल 1970 के आस-पास  इलेक्ट्रॉनिक डाटा जैसे कि क्रयादेश और इनवाइस का आदान प्रदान करने के लिए करती थीं. 1979 में एक इंग्लिश व्यक्ति माइकल एलड्रिच ने पहली बार आन-लाइन शॉपिंग का आविष्कार किया. उसने अपने 26″ कलर टेलीविज़न को अपने कंप्यूटर से जोड़ के टेलीफोन की लाइन के माध्यम से लेन-देन का एक तरीका बनाया जिसे आन-लाइन शापिंग का नाम दिया गया. आज के मौजूदा दौर में यह माइकल एलड्रिच के ही विचार हैं जो विश्वव्यापी आयाम धारण किए हुए हैं. उनके विचार अपने समय से कहीं आगे थे मगर उन्होंने कभी इस शापिंग पद्धति का पेटेंट नहीं करवाया अतः दूसरे भी इस पद्धति का इस्तेमाल करने लगे.  

1990 के बाद ई-कामर्स क्षेत्र में क्रांति आ गयी. एंटरप्राइज रीसॉर्स प्लानिंग, डाटा माइनिंग और डाटा वेयरहाउस जैसे विषय जुड़ने से नए आयाम खुले. इसी समय टिम बर्नेस ली ने वर्ल्ड.वाइड.वेब(www) का अविष्कार किया जिसके तहत इंटरनेट व्यवस्था अब आम आदमियों की एक संचार व्यवस्था बन गई और सभी कंपनियां इन्टरनेट का इस्तेमाल करने लगीं. 21वीं सदी आते-आते अधिकतर अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियां इन्टरनेट के माध्यम से अपने उत्पाद् और सेवाएँ लोगों तक पहुंचाने लगीं.

भारत और ई-कामर्स

अमेरिकी और यूरोपीय देशों की तुलना में ई-कामर्स एशिया में अपने पैर पसारने में कामयाब तो रहा परन्तु तकनीकी विकास के अभाव में इसे कुछ समय लगा. लेकिन आज एशियाई क्षेत्र ई-कामर्स का सबसे बड़ा बाज़ार है. भारत में ई-कामर्सकीशुरुआत का श्रेय बाज़ी डाट काम को जाता है फिर धीरे-धीरे आन-लाइन यात्रा और दूसरे व्यापारों में भी इसका वर्चस्व फैलता गया. भारत में ई-कामर्सकी मुख्य सफलता का कारण था कम लागत में अधिक मुनाफा. जहाँ यह उद्यमी व्यापारियों को मुनाफा कमाने का उचित साधन लगा, वहीं यहाँ के लोगों की बढ़ती खर्च करने की ताकत इसकी सफलता का कारण भी बना. हालांकि अगर हम आकडों पे नज़र डालें तो पता चलता है कि अभी भी भारत की एशियायी बाज़ार में कुल हिस्सेदारी 2% की है(2.1 खरब डालर). एक अनुमान के मुताबिक 2011 तक यह आंकड़े 6 खरब डालर को पार कर जाएंगे.

new-ecommerceभारत में ई-कामर्स के कार्यक्षेत्र

विक्रेता से उपभोक्ता – जहाँ कंपनियां अपनी सेवाएँ और उत्पादों को तत्क्षण विक्रेता को इन्टरनेट के माध्यम से प्रदान करती हैं.

उपभोक्ता से उपभोक्ता – भारत में इसकी शुरुआत का श्रेय बाज़ी डाट काम को जाता है जिसको बाद में ई-बे ने खरीद लिया.

आन-लाइन मनी ट्रान्सफर – इसके तहत इन्टरनेट के द्वारा पैसे का आदान-प्रदान होता है.

ट्रेड पोर्टल्स – ट्रेड पोर्टल्स के माध्यम से कंपनियां अपने व्यापार को बढ़ाती हैं. यह ब्रांडिंग के काम भी आता है. इसके अलावा इसके द्वारा दूसरे देशों से व्यापार करना सरल हो जाता है.

विज्ञापन – आज अगर आप इन्टरनेट का उपयोग करते हैं तो हर साइट में विज्ञापन देख सकते हैं जो कि पैसे कमाने का एक बहुत अच्छा आकर्षक तरीका है. उदाहरण के तौर पर अगर आपकी साइट में गूगल विज्ञापन करती है तो वह हर विज्ञापन का आपको पैसा देती है.

लेख – समाचार, ब्लाग, सामाजिक साइट आज ये सब इन्टरनेट में पाए जाते हैं जो कि ई-कामर्स के बढ़ते प्रभुत्व की देन हैं. आज आप अपने दोस्तों से जुड़ सकते हैं, अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं और दुनिया भर के समाचार बैठे-बैठे प्राप्त कर सकते हैं.

ई-कामर्स का भविष्य

अगर हम आने वाले समय पर गौर करें तो भारत में ई-कामर्स के विकास के बहुत अवसर हैं. भारत की जनसंख्या ई-कामर्स के विकास के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि जनसंख्या यानी उपभोक्ता. लोगों की बढ़ती क्रयशक्ति इसके फलने-फूलने के लिए बेहतर आयाम प्रदान करती है क्योंकि अगर लोगों के पास पैसे होंगे तभी तो वह खर्च करेंगे.

3564544756_e41761ab18मौजूदा दौर में भारत तकनीकी क्षेत्र में भी उन्नति कर रहा है जो ई-कामर्स की उन्नति के और भी रास्ते खोलता है. आज इन्टरनेट की संयोजकता में तेज़ी आयी है. इन्टरनेट उपभोक्ताओ की संख्या में वृद्धि हुई है, इसके अलावा कम्पनियां भी उपभोक्ताओं को लुभाने के नए-नए तरीके और रणनीतियाँ इज़ाद कर रही हैं. वाकई इस विकास को देखकर हम कह सकते हैं कि भारत में ई-कामर्स का कल सुहाना होगा.

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