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“Retailing” मॉल कल्चर की तरफ़ बढ़ते कदम

अर्थ विमर्श
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kishoreफ्यूचर ग्रुप के (सीईओ/एमडी) किशोर बियानी ने एक बार कहा था “क्या आप जानते हैं कि क्यों भारत विश्व कप फुटबॉल के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाता है? क्योंकि किसी भारतीय को जब भी कार्नर मिलते हैं वह वहाँ दुकान खोल लेता है. भले ही किशोर बियानी के यह शब्द हास्यास्पद थे, परन्तु उनके यह शब्द भविष्य में व्यापार क्षेत्र में आने वाली क्रांति की तरफ़ इशारा कर रहे थे जो शायद हमारी मानसिकता को बदल डालेगी.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(आईएमएफ) ने सन 1991 में दिवालिया हो रहे भारतवर्ष को अपनी व्यापारिक नीतियों में सुधार लाते हुआ उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण(एल.पी.जी) को अपनाने को कहा. तत्पश्चात 1992 में भारत के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव और उनके वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने आईएमएफ की नीतियों को माना और तब से शुरू हुआ विश्वस्तर में भारत का आर्थिक शक्ति बनकर उभरना. बाज़ार में निजीकरण आने से व्यापार के नए आयाम खुलने लगे, अब एक कंपनी खोलना आसान हुआ, विदेशी कंपनियों ने भारतीय बाज़ार में पैसा लगाना शुरू कर दिया, भारतीय कंपनियां दूसरे देशों में अपना कार्यक्षेत्र स्थापित करने लग गयीं और देखते ही देखते सेंसेक्स 2 हज़ार के आंकड़े से 20 के आंकड़े तक पहुंच गया.

इन नीतियों का सीधा असर भारतीय मध्य वर्गीय परिवार को हुआ. एक समय रोज़गार के लिए भटक रहे युवकों के पास आज सुविधानुसार रोज़गार था, रोज़गार होने के कारण उनके पास आज खर्च करने के लिए पर्याप्त धन भी था. युवाओं की इस व्यय की ताकत को शायद किशोर बियानी ने समझा और फ्यूचर ग्रुप नाम से एक कंपनी खोली जिसका आधार था रिटेलिंग पद्धति को अपनाना. अतः इस तरह शुरू हुआ भारत में रिटेलिंग या माल कल्चर.

क्या है रिटेलिंग

रिटेलिंग एक फ्रेंच शब्द रिटेलर से आया है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “टू कट ऑफ” अर्थात “काटना”. अगर हम रिटेलिंग को व्यापारिक संदर्भ में देखें तो वाकई रिटेलिंग का काम काटना ही होता है. रिटेलिंग के द्वारा हम वितरण चैनल को काटते है. जब उत्पादों का निर्माण होता है तो सबसे पहले उन उत्पादों को लॉजिस्टिक्स के द्वारा गोदामों तक पहुंचाया जाता है जहाँ से वह वितरकों तक पहुंचता है. वितरक उन उत्पादों को आपूर्तिकर्ता तक पहुंचाता है जो उसे दुकानदारों तक पहुंचाते हैं. दुकानदार उन उत्पादों को बेचता है जो अंत में हम ग्राहकों द्वारा खरीदा जाता है.
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इस पूरी प्रक्रिया में उत्पादों का निर्माण करने से लेकर ग्राहक का इस्तेमाल करने तक सात चरण आते हैं और हर चरण में संलग्न इकाइयाँ अपना मुनाफा कमाने के लिए उत्पादों पर लाभ जोड़ कर बेचती हैं जिसके कारण उत्पादों का मूल्य बढ़ जाता है और वह उत्पाद तय मूल्य से महंगे बिकते हैं. परन्तु व्यापार जगत में रिटेलिंग आने से अब उत्पाद निर्माण के बाद् सीधे रिटेल आउटलेट तक पहुंचते हैं जिसके कारण उत्पादों का दाम बढ़ाने वाली इकाइयां कम हो जाती हैं अतः सामान सस्ते बिकते हैं. रिटेलिंग के तहत हम अलग-अलग उत्पादों को एक जगह और एक छत के नीचे बेचते हैं जहाँ माल के वर्गीकरण के साथ-साथ जगह का माहौल, ग्राहक की संतुष्टि और मर्केंटाइजिंग का खास ध्यान रखा जाता है. अतः हम यह कह सकते हैं की रिटेलिंग अलग-अलग गतिविधियों का ढ़ांचा है जो अंतिम उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों या सेवाओं को बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराता है.

abience-mall2“रिटेलिंग” उपभोक्ताओं के लिए

अगर हम रिटेलिंग की बात करें तो मुख्यतः इसमें कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखा जाता है जिसके तहत हम रिटेलिंग की उचित व्याख्या भी करते हैं जैसे कि


• उपभोक्ताओं की जरूरतों को ध्यान देना.
• समय-समय पर माल के अच्छे वर्गीकरण का विकास करना.
• उत्पादों को एक प्रभावी तरीके से पेश करना ताकि उपभोक्ताओं को सामान खरीदने में आसानी हो और उनको पूरा माहौल आकर्षक लगे.
रिटेलिंग मार्केटिंग से अलग होती है क्योंकि रिटेलिंग के तहत हम सिर्फ उन गतिविधियों का विपणन करते हैं जो उत्पादों का व्यक्तिगत, पारिवारिक या घरेलू उपयोग करने के काम आती हैं जबकि मार्केटिंग रिटेलिंग से बहुत व्यापक होती है. हम यह भी कह सकते हैं कि रिटेलिंग मार्केटिंग का अंग है.

भारत और रिटेलिंग

रिटेल को मुख्यतया हम दो भागों में बांट सकते हैं सुनियोजित और गैर-नियोजित. सुनियोजित रिटेल के अंतर्गत हमको पहले से स्थापित नियमों और मानकों का पालन करना होता है जैसे कि उचित खातों का विवरण रखना, विदेशी निवेश मानदंडों का पालन करना इत्यादि. जबकि गैरनियोजित रिटेल में यह सब नहीं होता.

अगर हम भारत की बाज़ार व्यवस्था को देखें तो पता चलता है कि गैर-नियोजित रिटेल भारत में बहुत वर्षों से विद्यमान है जो वर्तमान में कुल खुदरा उद्योग का 94% है.

Big-Bazaar-1सुनियोजित रिटेल का भारत में आगमन 20वीं सदी के अंतिम दशक में हुआ और शायद भारत में इसको लाने का श्रेय फ्यूचर ग्रुप के (सीईओ/एमडी) किशोर बियानी को जाता है जिन्होंने फ्यूचर ग्रुप के नाम से सुनियोजित रिटेल की स्थापना की थी जो आज भारत की रिटेल में सबसे बड़ी कंपनी है. समय के साथ-साथ रिलायंस, टाटा, रहेजा, आदित्य बिरला, गोदरेज जैसे बड़ी व्यापारिक कंपनियों ने भी इसमें रूचि दिखाई और रिटेल उद्योग को भारतीय अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग बनाया. आज भारत का सुनियोजित रिटेल उद्योग 1,70,000 करोड़ से भी ज़्यादे का है जो 11.4% की विकास दर से बढ़ रहा है और 2014 तक यह 5,40,000 करोड़ से भी अधिक का हो जाएगा. आने वाले तीन वर्षों में तकरीबन 4,000 रिटेल आउटलेट खुलने का अनुमान है.

रिटेल उद्योग से सबसे ज़्यादा फायदा भारत की विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को हुआ है. विकसित देशों में आर्थिक विकास जैसे-जैसे बढ़ता गया वैसे-वैसे उनका उत्पादन भी बढता गया अतः अपना माल बेचने के लिए उन्हें नए बाज़ार की ज़रूरत थी. भारत विकासशील देश है परन्तु भारत की विकास दर दुनियां में तीसरे नंबर पर है जिसके कारण यहाँ के लोगों के पास खर्च करने के लिए पर्याप्त धन भी है. इसी संभावना को दूसरे देशों ने जाना और भारत के बाज़ार में पैसा लगाना शुरू कर दिया और इन सब में भी रिटेल पैसे कमाने का सबसे अच्छा उद्योग है जिसके कारण बहुत सारी विदेशी मुद्रा भारत में आने लगी. वर्तमान में रिटेल में आटोमैटिक रूट से एफडीआई 51% है.

संगठित रिटेल के प्रमुख रूप

मॉल: मॉल संगठित रिटेल व्यापार का सबसे बड़ा रूप है. आज मुख्य रूप से मॉल मेट्रो शहरों की सरहद के निकट स्थित होते हैं. अमूमन इनका आकार लगभग 60,000 वर्ग फुट से लेकर 7,00,000 वर्ग फुट तक होता है जहाँ आप एक छत के नीचे विभिन्न उत्पादों, होटलों, सिनेमाघरों का मज़ा ले सकते हैं.

हायपरमार्केट: हायपरमार्केट क्षेत्रफल में मॉल से छोटे होते हैं जो लगभग 40,000 वर्ग फुट तक होते हैं. हायपरमार्केट मुख्यतया “शॉप इन शॉप” होते हैं जहाँ आप बड़ी शॉप के अंदर अलग-अलग ब्रांड के बहुत सारी शॉप्स पाते हैं.

j79il2मल्टी ब्रांड आउटलेट: मल्टी ब्रांड आउटलेट को हम “श्रेणी हत्यारा” या “कैटगरी किलर” भी कहते हैं क्योंकि इनमें आप अलग-अलग ब्रांड सस्ते दामों में पा सकते हैं.

सुपर मार्केट: सुपर मार्केट के अंतर्गत एक बड़े मार्केट के अंदर अलग-अलग उत्पादों की बहुत सारी दुकाने होती हैं. ज़्यादातर सुपर मार्केट आवासीय क्षेत्र के नज़दीक स्थापित होते हैं.

डिस्काउंट स्टोर: डिस्काउंट स्टोर का सबसे अच्छा उदाहरण दुनियां की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी “वाल मार्ट” है. डिस्काउंट स्टोर में वस्तुएं बाज़ार भाव से सस्ते में मिलती हैं. भारत में “बिग बाज़ार” एक डिस्काउंट स्टोर है.

डिपार्टमेन्टल स्टोर: डिपार्टमेन्टल स्टोर को मुख्यतः हम दो भागों में बांट सकते हैं किराना की दुकान और कंवीनियंस स्टोर. यह दोनों स्टोर गैर-नियोजित रिटेल के अंतर्गत आते हैं जो सालों से हमारे रहने वाली जगह के आसपास स्थापित होती हैं. यहाँ से हम फुटकर में वस्तुओं को खरीदते हैं.

आज रिटेल केवल बिज़नेस का पर्याय ही नहीं रह गया है बल्कि यह मनोरंजन का नया आयाम भी प्रदान करता है. आज रिटेल शहरों से निकल ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच गया है. आईटीसी द्वारा खोला गया ई-चौपाल ग्रामीण क्षेत्रों में रिटेल के बढ़ते हुए कदम बताता है. आज रिटेल में ना केवल कपड़े या अन्य घरेलू वस्तुएं बिकती हैं बल्कि अनाज, फल, सब्जियां और दूध भी बिकते हैं. आज रिटेल में संलग्न कंपनियां किसान द्वारा उत्पन्न अनाजों को खरीदती हैं और उन्हें उचित दाम भी देती हैं.

itc_e_chaupal_20060807परन्तु क्या बढ़ते हुए संगठित रिटेल के कदम गैर-नियोजित या असंगठित रिटेल व्यवस्था के लिए हानिकारक हैं. आज जबकि गैर-नियोजित रिटेल का मार्केट 60,00,000 करोड़ से भी ज़्यादा है. करोड़ों लोग इस उद्योग से जुड़े हैं और इसके द्वारा अपनी रोज़ी-रोटी कमाते हैं और अपना घर चलाते हैं इसलिए कहीं सुनियोजित रिटेल व्यवस्था के आने से इनका दमन तो नहीं होगा. अगर हमको प्रगति करनी है तो सर्वांगीण विकास ज़रुरी है अतः इसके लिए ज़रुरी है कि दोनों रिटेल व्यवस्थाओं में सामंजस्य बना रहे और देश उन्नति करे.

This blog is about the retailing in Indian context. Retailing a French Word means “To Cut Off” the distribution channel so that the intermediaries between the producer and customer are shortened and hence the goods become cheap. Retailing Involves, Merchandising, Proper Assortment of Goods, Ambience, Customer Satisfaction, Store loyalty, Store location and layout, Pricing Strategies and Targeted Audiences. Retails are broadly classified into Organized and Unorganized retails. Organized retails are further classified into Malls, Hypermarkets, Shopping Complex, Discount Stores, Multi Brand Outlets, Discounts Stores, Super Markets, Specialty Store and Convenience Stores.

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