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जुलाई का महीना सिर्फ भारतीय रुपये के लिए ही नहीं, दुनिया भर की करंसीज के लिए अजब-गजब खेल लेकर आया। इस महीने जहां हमारी करंसी को प्रतीक चिह्न के रूप में एक अलग पहचान मिली, वहीं दूसरी तरफ दुनिया की अन्य करंसी भी किसी न किसी कारण चर्चा में रहीं..
आप जानकर हैरान होंगे कि हमारे देश की मुद्रा को पहचान मिलने के साथ ही कहीं डॉलर को वाशिंग मशीन में धो डाला गया, तो कहीं करंसी का नया अवतार सामने आ गया। जी हां, इसी महीने, जुलाई में..।
दरअसल, यह महीना हमारी इकोनॉमी के लिए महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि 16 जुलाई को हमारे रुपये को एक सिंबल मिल गया, जिससे उसे ग्लोबल ब्रांड के रूप में एक अलग पहचान मिल गई। लेकिन दुनिया में करंसी के मामले में कुछ और भी हो रहा था..।
नया अवतार
इसी 20 जुलाई को हांगकांग में प्रचलित बैंक नोट का नया अवतार सामने आया। 1000 और 500 की मुद्रा वाले नए नोटों की दो सीरीज बैंकों की तरफ से जनता के लिए जारी कर दी गई हैं। 100, 50 और 20 की मुद्रा वाले नए डिजाइन के नोटों की तीन सीरीज 2011 के मध्य में जारी किए जाने का ऐलान किया गया है। हांगकांग के नए नोट में न केवल कई नए सुरक्षा उपायों को जोडा गया है, बल्कि उसका रंग भी बदल दिया गया है। पहले वाले नोट में इस्तेमाल किए गए हरे रंग की जगह गोल्डेन रंग इस्तेमाल किया गया है। सरकार ने ऐलान किया है कि जैसे-जैसे नए नोट चलन में बढेंगे, पुराने नोटों को धीरे-धीरे बाजार से हटा लिया जाएगा। इसी महीने 16 जुलाई को हांगकांग में पुराने नोटों की एक दिलचस्प प्रदर्शनी शुरू हुई है, जो 15 अगस्त तक चलेगी। इस प्रदर्शनी में उस पहले नोट को रखा गया है, जो 145 वर्ष पहले प्रचलन में आया था। प्रदर्शनी में कुल मिलाकर ऐसे 56 ऐतिहासिक नोट लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जिनमें द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर प्राचीन इतिहास के अनेक पहलुओं को दर्शाया गया है।
करंसी की नीलामी
एक दिलचस्प खबर अमेरिका के वाशिंगटन शहर से है। जुलाई के पहले सप्ताह में यहां 130 साल पुरानी करंसी की एक अनोखी नीलामी का आयोजन किया गया। नीलामी में आए लोग 130 साल पहले छपे इन नोटों की खूबसूरती देखकर अचरज में पड गए। नीलामी में रखे गए पुराने नोटों की कुल कीमत थी 51 हजार 875 डॉलर। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इनके प्रशंसकों ने इन्हें तीन गुनी से भी ज्यादा कीमत में खरीद डाला। जी हां, इन प्राचीन नोटों को एक लाख 61 हजार डॉलर में खरीदा गया।
डॉलर की धुलाई
इस्तेमाल करते-करते अक्सर नोट गंदे हो जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी कपडों की तरह इन गंदे नोटों को भी धोने के बारे में सोचा है, वह भी वाशिंग मशीन में? यह दिलचस्प घटना भी इसी जुलाई महीने की 6 तारीख की है। जिम्बॉब्वे के हरारे शहर में बुरी तरह गंदे हो चुके डॉलर से आजिज आ चुके लोगों ने आखिरकार तय किया कि नोटों को वाशिंग मशीन में धो डाला जाए। जिम्बॉब्वे के लोगों का कहना है कि अमेरिकी डॉलर गुनगुने पानी से बिना साबुन के धोने से साफ हो जाता है। वहां लोग ऐसा करते भी हैं, लेकिन इस बार डॉलर को लांड्री में ड्राईक्लीन किया गया तो धुलकर डॉलर चमचमा गया।
ब्रिटेन के प्रभाव वाले एक छोटे से देश जिब्राल्टर ने 8 जुलाई को बडी अनोखी करंसी जारी की। इस करंसी के एक तरफ तो रानी एलिजाबेथ द्वितीय का चित्र है, तो दूसरी ओर जिब्राल्टर के इतिहास को दर्शाने वाली तस्वीरें हैं। हर नोट पर अलग-अलग तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है, जिनसे 11वीं सदी से लेकर आज तक के इतिहास के पन्नों की झलक मिलती है।
दुनिया की करंसीज के बारे में कुछ रोचक बातें
रूसी मुद्रा रूबल शब्द की उत्पत्ति रूबिट शब्द से मानी जाती है, जिसका मतलब होता है काटना।
रूस में लोग मानते हैं कि चांदी को टुकडों में बांटा गया और उससे बना दिया गया रूबल।
1704 में रूस पहला ऐसा देश बना, जिसने दुनिया को पहली दशमलव मुद्रा से परिचित कराया।
रानी एलिजाबेथ का चित्र 33 देशों की करंसी पर अंकित है। उनका पहला इमेज कनाडा की करंसी पर 1935 में अंकित किया गया था, जब वे मात्र 9 साल की थीं।
ब्रिटिश पाउंड को दुनिया की सबसे प्राचीन मुद्रा माना जाता है। पहला पाउंड स्टर्लिंग सिक्का 1672 में तैयार किया गया था।
येन जापान की करंसी है, जिसे जापान ने अपने पडोसी देश चीन से शुरू में उधार लिया था। वह थी चीनी करंसी युआन, जिसकी नकल करते हुए जापान ने अपनी करंसी का नाम येन रखा। युआन का अर्थ होता है गोलाकार वस्तु ।
अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे ताकतवर करंसी माना जाता है। दुनिया भर में सबसे बडी रिजर्व करंसी डॉलर ही है।
डॉलर का चिह्न कैसे बना और कहां से आया, इस बारे में अनेक मान्यताएं हैं। कुछ लोग इसकी उत्पत्ति अंग्रेजी में लिखे जाने वाले आठ के अंक से मानते हैं, तो कुछ अंग्रेजी के अक्षर पी और एस के मिश्रण से। कुछ का यह भी मानना है इसका जन्म पिलर्स ऑफ हरक्यूलिस से हुआ है।
डॉलर के बाद दुनिया की दूसरी सबसे ताकतवर करंसी यूरो है, जो कभी-कभी डॉलर को भी आंखें दिखाती रहती है। इसका इस्तेमाल यूरोपीय यूनियन के कुल 27 में से 16 देश करते हैं।
यूरो करंसी के सिक्कों और नोटों का चलन 1 जनवरी, 2002 से शुरू हुआ। वैसे इसे ऑफिशियली 16 दिसंबर, 1995 को स्वीकार कर लिया गया था।
हमारे रुपये की तरह यूरो के प्रतीक चिह्न के लिए भी एक पब्लिक सर्वे हुआ था और बेल्जियम के एलेप विलीट द्वारा तैयार डिजाइन को यूरोपीय कमीशन ने मंजूर किया था।
Source: Jagran Yahoo
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