Menu
blogid : 318 postid : 209

काले धन के खिलाफ लड़ाई केवल एक भद्दा मजाक

अर्थ विमर्श
अर्थ विमर्श
  • 173 Posts
  • 129 Comments

मुंबई की अदालत में मिंट चबा रहा हसन अली दरअसल भारत के कानून को चबा रहा था. हसन अली को जमानत देते हुए अदालत पूरी दुनिया को बता रही थी कि भारत की जांच एजेंसियों का डायनासोरी तंत्र अपने सबसे पुराने और मशहूर कर चोर व काले धन के सरगना के खिलाफ एक कायदे का मुकदमा भी नहीं बना सकता. दो माह पहले वित्त मंत्री बड़े भोलेपन के साथ विश्व को बता चुके हैं कि हसन अली के स्विस बैंक खाते तो खाली हैं. होने भी चाहिए, काले धन पर इतनी चिल्ल-पों के बाद कोई अहमक ही खातों में पैसा रखेगा.


हसन अली हमारी व्यवस्था की शर्मिंदगी का शानदार प्रतीक है. स्विस बैंक की गर्दन दबाकर अमेरिका अपने 2000 हसन अलियों का सच उगलवा लेता है और प्रख्यात टैक्स हैवेन केमैन आइलैंड का धंधा ही बंद करा देता है. फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के डपटने पर लीचेंस्टाइन, वर्जिन आइलैंड पैसा व जानकारी समर्पित कर देते हैं, लेकिन हसन अली का देश यानी भारत तो दुनिया के उन मुल्कों में शुमार है, जिनका भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में रिकॉर्ड संदिग्ध है, क्योंकि भारत ने आज तक भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं. इस संधि के बिना किसी कर स्वर्ग से जानकारी कैसे मिलेगी.


दरअसल हसन अली ने जो छिपाया है, उससे ज्यादा खोल दिया है. वह काले धन, कर चोरी, हथियारों की दलाली और वित्तीय जरायम से निबटने की हमारी क्षमताओं का नंगा सच उघाड़ रहा है. हसन अलियों के लिए भारत स्वर्ग यूं ही नहीं बन गया है. हसन अली के मौके एक्साइज इंस्पेक्टर का बेटा हसन अली भारत में सर्वसुलभ रास्तों पर चलकर काले धन की दुनिया का सितारा बना है. काले धन के उत्पादन पर उपलब्ध टनों शोध व अध्ययनों के मुताबिक कर चोरी काले धन की पैदावार का सबसे बड़ा जरिया है. याद कीजिए भारत में तस्करी की दंतकथाएं कर कानूनों के कारण ही बनी थीं. कर नियमों में स्थिरता और पारदर्शिता कर चोरी रोकती है. मगर भारत में तो हर वित्त मंत्री अपने हर बजट में कर व्यवस्था मनचाहे ढंग से कहीं भी मोड़ देता है. इसलिए भारत में कंपनियां व करदाता कर की दीर्घकालीन नहीं, बल्कि सालाना योजना बनाते हैं और अगले साल कर कानूनों के बदलाव के बाद बचने के रास्ते तलाशते हैं.


दुनिया के देश कर कानूनों को बिरले ही बदलते हैं, उनके कर प्रशासन अपनी ऊर्जा काले धन की फैक्ट्रियों को बंद करने पर लगाते हैं और हमारे कर अधिकारी खुद को बेचने पर मेहनत करते हैं. भारत की कालिख शेष दुनिया से फर्क है. वहां काला धन विशुद्ध आपराधिक गतिविधियों मसलन नशीली दवाओं या हथियारों के कारोबार से उपजता है, लेकिन भारत में कालिख सार्वजनिक और कानूनी कारोबारों को अवैध ढंग से करने से उपजती है. हमारे काले धन की फैक्ट्रियां कानून तोड़कर नहीं कानूनों से डरकर बनी हैं.


भारत की काली इकोनॉमी खुदरा है, कर से बचने के लिए वह आधिकारिक वित्तीय तंत्र ( बैंकिंग) से बाहर हाथों हाथ चलती है और अंतत: मुठ्ठी भर लोगों के पास पहुंचकर थोक में बदल जाती है, जो कि नीतियां बनाने, बदलने या प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. भारत मे काले धन का यह तंत्र स्पष्ट, आधिकारिक और क्रिकेट व फिल्म की तरह दैनिक जीवन का हिस्सा है. हसन अली की मेहनत ने उसे काले धन के थोक डीलरों तक पहुंचा दिया और वह हर कानून से ऊपर हो गया. हसन अली की ढाल हसन अली को हिरासत की जगह जमानत मिल गई या कहिए कि कमजोर पुरानी हिफाजत मिल गई. अदालत कहती है कि इस पर मनी लॉन्डि्रंग का मामला भी नहीं बनता, क्योंकि इसके खेल तो भारत में मनी लॉड्रिंग कानून (2005) के जन्म से पहले के हैं. समझ सकते हैं कि हसन अली कितना पुराना खिलाड़ी है और आज तक अभियोजन के पास उसे घेरने के साक्ष्य नहीं हैं. वह तो खुद स्विस बैंक (यूबीएस) ने अगर हसन अली को संदेश (जांच एजेंसियों के हाथ यह मैसेज लगा था) भेजकर न बताया होता तो हम जान भी न पाते कि एक कबाड़ी (स्क्रैप डीलर- हसन अली का आधिकारिक कारोबार) स्विस बैंकों में नौ अरब डॉलर रखता है.


सरकारें संसद से लेकर अदालत तक बताती रही हैं कि हसन अली हर बड़े जरायम में शामिल है. हथियार व्यापारी अदनान खशोगी का फंड मैनेजर हसन अली की सेवा में रहा है और दाऊद के उससे रिश्ते रहे हैं. मगर इतने नायाब हसन अली को जेल भेजने के लिए हमारी जांच एजेंसियों के पास कोई सबूत नहीं है. हसन को नोटिस जारी करते-करते भारत में आयकर अधिकारियों की एक पीढ़ी इंस्पेक्टर से कमिश्नर हो गई है. ताजा नोटिस 75,000 करोड़ रुपये की वसूली का है. भारत की जांच एजेंसियां और कर प्रशासन उदार हैं, उनकी जांच अपराधियों को बचाती है. भारत का जांच तंत्र अभियोजन की कमजोरी के लिए कुख्यात है. हमारा राजस्व विभाग अदालती लड़ाई में कनाडा की क्रिकेट टीम है. हसन अली जमानत पर बाहर है, सरकार किस मुंह से स्विस बैंकों से जानकारी मांगेगी, जब हमारा अपना कानून उस पर अभियोजन तक नहीं बना पाता. हसन अली की सुविधा अमेरिका की इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (आइआरएस) को अपने करीब 4450 हसन अलियों (टैक्स हैवेन में पैसा रखने वालों) की जानकारी चाहिए थी. उसने 78 करोड़ डॉलर के जुर्माने वाले एक मुकदमे के साथ 2009 में स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े निजी बैंक यूबीएस की गर्दन दबाई और बैंक ने पिछले साल 2000 अमेरिकियों का सच सौंप दिया. बचे अमेरिकियों की जानकारी देने का जिम्मा स्विस सरकार ने अपने सर ले लिया है.


इसी दशक की शुरुआत तक केमैन आइलैंड दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र था, न्यूयॉर्क, लंदन, हांगकांग, टोक्यो के बाद. टैक्स हैवेन की दुनिया का नया सितारा. अमेरिका ने सूचना के आदान-प्रदान का समझौता कर पर्दे नोच दिए और केमैन का खेल लगभग खत्म हो गया. फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने कर स्वगरें को अपनी ताकत दिखाकर रिकवरी शुरू कर दी है. इधर अपने वित्त मंत्री सिर्फ इसी में (बजट भाषण) खुश हैं कि भारत ने सूचना आदान-प्रदान के लिए दुतरफा समझौते किए हैं और फत्फ (मनी लॉड्रिंग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समूह) की सदस्यता मिल गई है. किसी मुगालते में मत रहिए भारत की ये कोशिशें दरअसल आतंक के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहमति और आतंकवाद का वित्त पोषण रोकने के लिए हैं. भ्रष्टाचार व विदेश में जमा काले धन की वापसी इस इंतजाम का लक्ष्य नहीं है. क्योंकि कर स्वगरें से सच उगलवाने के लिए तो भारत को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ की अंतरराष्ट्रीय सहमति का हिस्सा बनना पड़ेगा और अपने देश के कानून बदलने होंगे. हसन हली की सबसे बड़ी सुविधा यही है कि भारत अमेरिका या यूरोप नहीं है. हमारी सरकार काला धन वापस लाने के लिए ऐसा कोई जोखिम नहीं लेगी, जिससे बडे़ चेहरों से नकाब उतर जाए.


भ्रष्टाचार, काले धन और कर स्वगरें से पैसे की वापसी भारत के नीतिगत एजेंडे में कभी भी किसी वरीयता पर नहीं रही. न हमारे पास दमदार कानून है, न प्रभावी जांच, न अचूक अभियोजन और न ही इतनी ताकत कि हम भारत से चुराई गई पूंजी वापस ला सकें. सुप्रीम कोर्ट फालतू में मगजमारी करता है तो सरकार भी पूरी गंभीरता के साथ नाटक करती है. अंतत: हमें पता चलता है कि हसन अली के विदेशी खाते खाली हैं और हैदराबादी घोड़ेवाला (मुंबई रेस कोर्स में हसन अली का नाम) देश के कानून को मिंट की तरह चबाता हुआ जमानत पर बाहर आ जाता है. काले धन के खिलाफ भारत की लड़ाई सिर्फ एक कॉमेडी है और हसन अली इस ड्रामे का हीरो है. हसन अली ने भले ही दुनिया के किसी भी कर स्वर्ग में अपना पैसा छिपाया हो, लेकिन उसका स्वर्ग कहीं नहीं, बस यहीं है भारत में. ..जिओ हसन अली वाहे वाहे!!

Source: Jagran Yahoo

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh