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फिक्की-केपीएमजी ने अपने एक रिपोर्ट में मीडिया क्षेत्र में बढ़ते कारोबार और विज्ञापन खर्च में तेजी से आते सुधार के बाद भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग की औसत सालाना वृद्धि 14 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. इस उद्योग ने वर्ष 2010 के दौरान पिछले वर्ष के मुकाबले 11 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की है. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 में यह 652 अरब रुपये का उद्योग बन गया. यह रिपोर्ट फिक्की के बुधवार से शुरू होने वाले मनोरंजन व व्यापार सम्मेलन फिक्की फ्रेम्स 2011 में औपचारिक तौर पर जारी की जाएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2010 के दौरान फिल्म उद्योग ने अच्छी वृद्धि नहीं की. मल्टीप्लेक्स की संख्या में बढ़ोतरी के साथ अनुसंधान क्षेत्र में निवेश बढ़ा. अनुमान के मुताबिक साल 2015 तक वर्तमान 83 अरब रुपये का मनोरंजन उद्योग 132 अरब रुपये का हो जाएगा. समीक्षाधीन साल के दौरान इस उद्योग में फिल्मों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि हुई है. वर्ष 2010 में विज्ञापन पर होने वाले खर्च में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 266 अरब रुपये हो गया, जो उद्योग के कुल कारोबार का 41 प्रतिशत है.
न्यू मीडिया (ऑनलाइन) का महत्व भी तेजी से बढ़ा है. इस उद्योग में वर्ष 2010 में हुई वृद्धि का मुख्य कारण विज्ञापन क्षेत्र में विकास होना, ग्राहकी शुल्क राजस्व का बढ़ना, डिजटलीकरण के लिए आकर्षण बढ़ना और सामग्री के मुद्रीकरण के लिए अवसरों का बढ़ना है. इसको देखते हुए अनुमान है कि वर्ष 2011 के दौरान इस उद्योग में 13 प्रतिशत की दर से वृद्धि होगी. साल 2015 तक इसे 1,275 अरब रुपये का उद्योग बनने के लिए 14 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर हासिल करनी होगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के प्रिंट मीडिया क्षेत्र में वर्ष 2010 के दौरान 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. अगले पांच साल तक इस वृद्धि के ऐसे ही जारी रहने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2015 तक टीवी विज्ञापन से होने वाली आमदनी बढ़कर 214 अरब रुपये और ग्राहकों से होने वाली आमदनी 416 अरब रुपये पहुंचने की उम्मीद है.
अगर ये अनुमान सही होते हैं तो कहना चाहिए कि भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग का भविष्य काफी उज्जवल है. मीडिया और मनोरंजन उद्योग रोजगार और राजस्व के एक बड़े स्रोत के रूप में आगे आ रहे हैं और दिनों-दिन इनकी भागीदारी और महत्व में बढ़ोत्तरी ही होनी है.
साभार : दैनिक जागरण ई पेपर
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