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Disadvantage of FDI in India
देश में इन दिनों सरकार के एक फैसले की वजह से करोड़ों खुदरा व्यापारियों और किसानों की सांस अटकी हुई है. सरकार का खुदरा व्यापार में एफडीआई की मंजूरी देने से व्यापार जगत में भारी उठापटक का दौर शुरू हो गया है. कोई कहता है एफडीआई आम खुदरा व्यापारियों के लिए जोखिम भरा है तो कुछ की राय में एफडीआई से देश को बहुत ज्यादा फायदा होगा. आइए क्रमानुसार एफडीआई के बारे में हर बात जानें. इस अंक में हम एफडीआई और इसके नुकसानों के बारे में जानेंगे.
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क्या है एफडीआई: What is FDI
एफडीआई के नफा-नुकसान को समझने से पहले जरूरी है कि हम यह समझें की एफडीआई होती क्या है? एफडीआईका अर्थ होता है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश. किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी कहलाता है जिसे एफडीआई (Foreign Direct Investment) भी कहते हैं.
ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है.
सरकार का एफडीआई पर फैसला
हाल ही में सरकार ने जिन क्षेत्रों में एफडीआई यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी है उनमें शामिल हैं:
क्या होगा एफडीआई का स्वरूप
सबसे पहले तो यह जान लेना जरूरी है कि बहुब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई तभी लागू होगा जब राज्य सरकार इसे मंजूर करेगा. राज्य सरकार की मंजूरी के बाद ही विदेशी कंपनियों को मल्टी ब्रांड रिटेल स्टोर खोलने की अनुमति मिलेगी. ऐसे स्टोर 10 लाख से ज्यादा आबादी वालेशहरों में ही खोले जा सकेंगे और विदेशी कंपनियों को कम से कम 10 करोड़ डॉलर का निवेशकरना होगा.
एफडीआई के नुकसान
आइए अब जानें एफडीआई यानि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से क्या नुकसान होंगे. इस क्रम में शुरुआत करते हैं कृषि के क्षेत्र से.
जो लोग एफडीआई का समर्थन कर रहे हैं उनके अनुसार एफडीआई लागू होने से किसानों को फायदा होगा. उनके अनुसार कंपनियां सीधे किसानों से उत्पाद खरीदेंगी और बिचौलिए खत्म हो जाएंगे. बिचौलिए खत्म होने से किसानों को बहुत ज्यादा फायदा होगा. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एफडीआई के नुकसान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. सप्लाई चेन में विदेशी कंपनियों के दबदबे से किसानों को पूरी कीमत मिलने की राह में दुविधा होगी. क्वालिटी चेक और सर्टिफिकेशन के नाम पर उनका जमकर शोषण किया जाएगा.
जिस सप्लाई चेन के बनने की बात सरकार खुद कर रही है वो काम भी उसी का है.अगर सरकार सप्लाई चेन दुरस्त कर दे तो किसानों को इसका फायदा बिना एफडीआईके ही मिलने लगेगा.
सरकार का कहना है कि एफडीआई आने से देश में कई रिटेल शॉप खुलेंगे जो देश में लाखों रोजगार पैदा करेंगे. लेकिन क्या यह रोजगार उन बेरोजगारों का पेट भर पाएगी जो देश के करोड़ों खुदरा व्यापारियों के बेरोजगार होने से होगी? देश में इस समय करोड़ों खुदरा व्यापारी हैं और इस बात की संभावना अधिक है कि एफडीआई आने से इन खुदरा व्यापारियों का पतन हो जाएगा.
जानकारों का मानना है कि जिन नौकरियों की बात सरकार कर रही है वह है सेल्समैन और सेल्सगर्ल की. अगर एफडीआई लागू होता है तो भारत सेल्समैन और सेल्सगर्ल का देश बनकर रह जाएगा.
जब भी कोई विदेशी कंपनी किसी दूसरे देश के खुदरा व्यापार में आती है और वहां अपना दबदबा बनाती है तो वह वहां साधनों का विकल्प बहुत कम कर देती है. अब आप अमेरिका या चीन जाकर देखिए यहां आपको खुदरा सामान की गिनी-चुनी दुकानें मिलेंगी. जानकरों का मानना है कि एफडीआई के आने से उपभोक्ताओं के विकल्प सीमित हो जाते हैं.
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भारत जैसे विविधता भरे बाजार में उपभोक्ताओं के सामने असीमित विकल्प होते हैं. बाजार में घुसने के साथ ही बड़ी रिटेल कंपनियों का पहला बड़ा लक्ष्य प्रतिस्पर्धा को खत्म करना और अपना दबदबा कायम करना होगा जिससे हो सकता है उपभोक्ताओं को बहुत ज्यादा नुकसान हो.
खुदरा व्यापार में एफडीआई का विरोध करने वालों ने वालमार्ट को निशाना बनाते हुए कहा है कि सप्लायरों को कम से कम कीमत पर सामनेबेचनेको मजबूर करने से लेकर उत्पादों की कीमतों में इजाफा और उपभोक्ता केविकल्प सीमित करने की रणनीति की वजह से ही वालमार्ट ने आज यह कामयाबी हासिल की है. वालमार्ट सस्ते से सस्ता सामान बचने का दावा करती है. लेकिन इसका लक्ष्यउपभोक्ताओं को सस्ता सामान दिलाना नहीं बल्कि अपने शेयरधारकों का मुनाफाबढ़ाना है.
यह तो है खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से होने वाले नुकसानों के बारे में एक संक्षिप्त विवरण. अगले अंक में हम एफडीआई के तथाकथित फायदों के बारे में भी चर्चा करेंगे और जानेंगे कि एफडीआई के सिक्के का दूसरा पहलू कितना सुखद और कितना सपनीला है?
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