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आज निवेशकों के पास बाजार में निवेश करने के बहुत से तरीके हैं. म्यूचुअल फंड भी निवेशकों को बाजार में निवेश करने के लिए अच्छे अवसर देता है. म्यूचुअल फंड में कम अवधि के लिए निवेश में मुनाफा कम होने का जोखिम तो हमेशा रहता है, खासतौर पर बैलेंस और डेट फंड को छोड़कर जब निवेश इक्विटी ओरिएंटेड फंड में किया जाए. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लंबी अवधि के निवेश पर मिल रहे मुनाफे की अनदेखी भी नहीं की जा सकती. म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के निवेश निवेशकों को काफी लुभा रहे हैं. इस तरह के निवेश में एक तो निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहता है दूसरे इससे उन्हें अच्छे-खासे रिटर्न भी मिल जाते हैं.
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म्यूचुअल फंड का इतिहास
यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के रूप में भारत का पहला म्यूचुअल फंड 1963 में आया. उदारीकरण के दौर में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और संस्थाओं को म्यूचुअल फंड लाने की अनुमति दी. 1992 में सेबी ने एक विधेयक पास किया जिसके तहत बाजार में निवेशकों के पैसे को सुरक्षा प्रदान किया जाए तथा सिक्योरिटी बाजार को नियंत्रित किया जाए. जहां तक म्यूचुअल फंड का संबंध है सेबी ने 1993 में म्यूचुअल फंड को लेकर नियमन अधिसूचित किया. उसके बाद से ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को म्यूचुअल फंड में प्रवेश करने की इजाजत दे दी गई. सेबी समय-समय पर निवेशकों के पैसे को संरक्षित करने के लिए नियम बनाती है तथा कई तरह के दिशा-निर्देश जारी करती है.
म्यूचुअल फंड का अर्थ
म्यूचुअल फंड जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि एक फंड में कई लोगों का पैसा लगाया जाता है. म्यूचुअल फंड में विभिन्न निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया जाता है और इस पैसे को शेयरों और बॉन्ड मार्केट में निवेश किया जाता है. निवेशक को उसके पैसे के लिए यूनिट आवंटित कर दिए जाते हैं. अब इन यूनिट के अनुपात में शेयर या बॉन्ड खरीदने-बेचने पर होने वाले मुनाफे को म्यूचुअल फंड हाउसेज फंड (यूनिट) धारकों में बांट देते हैं.
म्यूचुअल फंड धारकों को यह डिविडेंड या लाभांश फंड पर होने वाले सभी खर्च जैसे एएमसी (असेट मैनेजमेंट कंपनी) शुल्क, एडमिन खर्च, एजेंट का कमीशन आदि निकाल कर दिया जाता है. आमतौर पर म्यूचुअल फंड को बाजार में एक स्कीम के तहत समय-समय पर लॉंच किया जाता है. किसी भी म्यूचुअल फंड के लिए यह जरूरी है कि वह अपना नाम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में दर्ज कराए.
आप म्यूचुअल फंड में खुद निवेश कर सकते हैं या निवेश करने के लिए बॉर्कर की सहायता कर सकते हैं. इसके लिए आपको बैंक डीमैट अकाउंट खोलने की जरूरत है. निवेशकों के लिए सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) को अपनाना बेहतर है, जिसमें कितनी अवधि और कितना निवेश करना है, इस बारे में पूरी प्लानिंग की जाती है.
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म्यूचुअल फंड, म्यूचुअल फंड का इतिहास
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