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अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपके सामने स्कीम को लेकर दो तरह के विकल्प होते हैं. एक है ओपेन एंडेड फंड और दूसरा क्लोज एंडेड फंड. आपको बता दें एक म्यूचुअल फंड योजना को उसकी परिपक्वता अवधि के आधार पर ओपेन या क्लोज-एंडेड योजना के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है. एक निवेशक के रूप में आप इन दोनों में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं. आइए जानते हैं इन दोनों योजनाओं के बारे में.
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ओपेन एंडेड फंड
ओपेन एंडेड फंड या स्कीम का मतलब है कभी भी जरूरत के हिसाब से यूनिट को खरीद या बेच सकते है. इस तरह की योजनाओं की निश्चित अवधि नहीं होती है. बाजार में भी क्लोज एंडेड फंड की तुलना में ओपेन एंडेड फंड ज्यादा हैं. जब बाजार में ओपेन एंडेड फंड उपलब्ध हैं तो निवेशकों को बड़े पैमाने पर निवेश के मौके मिलते हैं.
क्लोज एंडेड फंड
क्लोज एंडेड फंड के यूनिट सिर्फ एनएफओ के तौर पर जारी किए जाते हैं. ये यूनिट एक निश्चित अवधि के लिए होते हैं. मसलन आप इसमें एक निश्चित समय के लिए पैसे लगाते हैं तो इसके पहले स्कीम से पैसे नहीं निकाल सकते. निवेशक इस तरह की योजना में आरंभिक पब्लिक इश्यू के समय निवेश कर सकते हैं. अगर आप स्कीम की अवधि पूरी होने से पहले अपने पैसे निकालना चाहते हैं. शेयरों की तरह ही स्कीम के यूनिट भी स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टेड होते आप ब्रोकरों की मदद से इस यूनिट को खरीद और बेच सकते हैं.
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क्या है दोनों में अंतर
ओपन एंडेड फंड में काफी बड़े पैमाने पर निवेश के मौके मिलते हैं जबकि क्लोज एंडेड फंड का आकार छोटा होता है जिसकी वजह से निवेशकों को निवेश करने का मौका कम ही मिलता है. बाजार में भी क्लोज एंडेड फंड की तुलना में ओपेन एंडेड फंड ज्यादा हैं. दूसरी तरफ अगर हम क्लोज एंडेड फंड की बात करें तो निश्चित अवधि की वजह से निवेशकों की तरफ से पैसे निकालने का दबाव नहीं होता जबकि ओपेन एंडेड फंड में निवेशकों की तरफ से पैसे निकालने का दबाव कभी भी आ सकता है. क्लोज एंडेड फंड में ब्रोकर लंबी अवधि के निवेश में भी पैसा लगाने के लिए स्वतंत्र हैं जिसका परिणाम यह होता है कि निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है.
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