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टाटा समूह के ‘रत्न’ हैं रतन टाटा

अर्थ विमर्श
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ratan tata mistryलगभग दो दशकों से टाटा ग्रुप के मुखिया रहे रतन टाटा शुक्रवार यानि आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं. रतन टाटा ने सेवानिवृत्त का यह फैसला उस दिन लिया है जिस दिन उनका जन्मदिन है. वैसे उन्होंने संन्यास का फैसला पिछले साल ही ले लिया था. 75 साल के रतन टाटा ने अपने इस विशाल समूह की बागडोर 44 वर्षीय साइरस मिस्त्री के हाथ सौंप दी है. नवम्बर 2011 में साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था.


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टाटा समूह एक पारंपरिक औद्योगिक घराना है जो 100 कंपनियों से मिलकर बना है. इस समूह की कुछ ऐसी प्रसिद्ध कंपनियां हैं जिनका काफी नाम है. इसमें टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टीओसीएस, टाटा पावर और इंडिया होटल्स शामिल हैं. इनका कारोबारी सम्राज्य 100 अरब डॉलर से भी अधिक का है.


टाटा ग्रुप को विश्व में एक पहचान दिलाने वाले रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में हुआ था. रतन टाटा टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेद जी टाटा के गोद लिए हुए पोते हैं. इनके पिता का नाम नवल टाटा है. रतन टाटा की शुरुआती शिक्षा मुंबई में हुई. उन्होंने 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम की शिक्षा ली. रतन टाटा ने अपने कॅरियर की शुरुआत 1962 में जमशेदपुर के इस्पात संयंत्र में एक प्रशिक्षु के रूप में की. 1991 में उनके चाचा जेआरडी टाटा ने रतन टाटा को अपना उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय लिया. रतन टाटा ने कंपनी की कमान उस समय संभाली जब देश में आर्थिक सुधार से संबंधित कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.


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रतन टाटा जब तक अपने पद पर थे उन्होंने न केवल टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया बल्कि उसकी साख पर भी आंच नहीं आने दी. वह अपनी कंपनी के ब्रांड के मूल्यों को बरकरार रखने के लिए काफी सतर्क रहे. उनके दौर में उनकी कंपनी के ब्रांड ने देश और विदेशों में काफी पहचान बनाई. टाटा समूह के नए मुखिया बने सायरस मिस्त्री के सामने यही चुनौती है. उन्हें न केवल कंपनी को आगे ले जाना है बल्कि जिस तरह का भरोसा रतन टाटा ने कंपनी को लेकर बनाया हुआ है उसे भी बरकरार रखना है.


रतन टाटा अपनी ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं. वह देश के काफी प्रतिष्ठित कारोबारियों में से एक हैं. उनकी पहचान आम लोगों तक थी. उनके आम लोगों से लगाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने वर्ष 2008 में टाटा मोटर्स द्वारा देश की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो का अनावरण किया. उनकी उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 2008 में सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया.


रतन टाटा की उपलब्धि

1998 में समूह ने रतन टाटा के नेतृत्व में पहली पैसेंजर कार टाटा इंडिका लांच की. उन्होंने देश को सबसे सस्ती कार नैनो दिया. उनके दौर में टाटा समूह ने काफी विस्तार किया. उन्होंने टेटली टी, जगुआर-लैंडरोवर कंपनियों का अधिग्रहण किया. उनके नेतृत्व में वर्ष 2007 में टाटा स्टील ने एंग्लो-डच कंपनी कोरस का अधिग्रहण किया. यह यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी है.


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