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अन्य धातुओं की तुलना में श्रृंगार का प्रतीक सोना हमेशा से ही भारतीयों की पहचान रहा है. शुरू से ही इसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान दिया गया है. आज जहां एक तरफ दुनिया में सोने का उत्पादन करने वाले 5 सबसे बड़े देशों में चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और रूस हैं वहीं दूसरी तरफ सोने की खपत करने के मामले में भारत अन्य देशों की तुलना में सबसे आगे है. दुनिया के 52 फीसदी गहनों की खपत में से ज्यादातर खपत भारत में होती है.
भारतीय संविधान पर भी है इनकी कला की छाप
यही वजह है कि इस धातु में थोड़ा-बहुत बदलाव भी बाजार की बड़ी खबर बन जाती है. विदेशी बाजारों में सोने की कीमत दो वर्ष के निम्न स्तर पर लुढ़कने के बाद भारत में सोने की कीमत बीते हफ्तों में 32 हजार 500 रुपये से गिरकर 27,100 रुपये प्रति 10 ग्राम के एक वर्ष के निम्नतम स्तर को छू गई है. पिछले डेढ़ साल में सोने की कीमत में ये सबसे बड़ी गिरावट है. बाजार विश्लेषकों का मानना है कि सोना 25000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक भी नीचे जा सकता है.
क्या है इस गिरावट की वजह ?
1. सप्लाई बढ़ने का डर: आर्थिक खस्ताहाल होने के कारण बेल आउट पैकेज के लिए सोने और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की बिकवाली से बाजार में पीली धातु की सप्लाई बढ़ने की आशंका है. इसलिए निवेशकों ने दूसरे सुरक्षित निवेश की ओर रुख किया है.
2. ब्याज दर में वृद्धि: अमेरिका में हाल में ब्याज दर में वृद्धि दर्ज की गई है. यह डॉलर को मजबूत और सोने को कमजोर करेगा. इस आशंका के चलते पीली धातु के निवेशकों ने सोने के मुकाबले डॉलर में निवेश करना ज्यादा मुनासिब समझा.
3. निवेशकों का शेयर बाजार की ओर रुख: वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के लक्षणों और शेयर बाजार में अच्छे रिटर्न के बीच निवेशकों द्वारा अपना धन विदेशी मुद्राओं और शेयर बाजारों में लगाने के कारण विदेशी बाजारों में सोने की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई जिसका असर भारत में देखने को मिला है.
4. इसके अलावा माना जा रहा है कि यूरोपीय यूनियन का सदस्य देश साइप्रस भयानक आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए अपना सोना बेचने की तैयारी में है. साथ ही कुछ बड़े संस्थागत निवेशक भी सोने का अपना स्टॉक निकालने लगे क्योंकि उनके पास फंड की कमी हो गई थी.
सरकार को फायदा
सोने के दाम में गिरावट होने से जहां एक तरफ सोना खऱीदनेवालों के चेहरे की चमक देखी जा सकती है. तो वहीं दूसरी तरफ इस गिरावट से सरकार काफी खुश है. सोने के भाव कम होने से सरकार जो पिछले कुछ महीनों से चालू खाते में हो रहे घाटे से परेशान थी इस गिरावट से उसे निजात मिलेगी. सोने के सस्ता होने का मतलब है कि अब बाहर रुपया कम जाएगा.
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सोने में निवेश से अर्थव्यवस्था को कोई फायदा नहीं
दरअसल अपनी चमक से ग्राहकों को अपनी ओर खींचने वाला सोना देश की अर्थव्यवस्था को खूब चूना लगाता है. व्यक्तिगत तौर पर पर सोना खरीदना काफी फायदेमंद हो सकता है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ये चिंताजनक बात हो सकती है. सोने का देश की अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा फायदेमंद ना होने का एक बड़ा कारण है कि ये अनुत्पादक प्रकृति का है. सोना कुछ करता नहीं है लेकिन घरों और बैंकों के लॉकर में बेकार पड़ा रहता है.
भारत विश्व में सबसे बड़ा सोने का आयात करने वाला देश है. ऐसा इसलिए क्योंकि देश में सोने का उत्पादन ज्यादा नहीं होता. सोने का कुल आयात में 12 फीसदी हिस्सा है और इसका नंबर केवल क्रूड और कैपिटल गुड्स के बाद आता है. जब हम विदेश से सोना खरीदते हैं तो हमें विदेशी मुद्रा में भुगतान करना होता है इसका सीधा नकारात्मक असर भारत की मुद्रा पर होता है. यह नकारात्मक असर मंहगाई के बढ़ने का कारण भी बनती है. इसलिए सोने के ज्यादा आयात से सरकार घबरा जाती है. सरकार सोने के आयात को कम करना चाहती है और इसलिए सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा देती है लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता. क्योंकि भारत में सोने की कीमत में कितनी भी बढोत्तरी हो जाए सोना खरीदने वाले खरीदते हैं जिसका असर चालू खाते के घाटे पर पड़ता है.
सोने की कीमतों में जारी गिरावट के चलते माना यह जा रहा है कि इस महीने सोने का आयात पिछले साल के इसी महीने की तुलना में करीब 25 प्रतिशत तक घटकर करीब 53.25 टन रहने की संभावना है. इसलिए कहा जा सकता है आने वाला दिन सरकार और उपभोक्ताओं के लिए काफी सुकून भरा रहेगा.
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