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महंगाई कैसे बढ़ती है?

अर्थ विमर्श
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बाजार में महंगाई का घटना और बढ़ना उत्पादों की मांग एवं आपूर्ति (Demand and Supply) पर निर्भर करता है. मांग व्यक्ति की खरीदने की क्षमता यानि कुल जमा राशि (savings) पर निर्भर करता है. जमा राशि भी व्यक्ति के खर्च पर निर्भर करती है कि वह कुल आमदनी में कितना खर्च करता है. अगर व्यक्ति के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेगा, ज्यादा चीजें खरीदेगा तो वस्तुओं की मांग बढ़ेगी और उत्पाद की आपूर्ति कम होने के कारण उसकी कीमत बढ़ जाएगी. इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है. संक्षेप में बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव (Excess flow of money) महंगाई का कारण बन जाता है.


रेपो रेट क्या है?

बाजार में महंगाई को कम करने और पैसों का बहाव कम करने के लिए आरबीआई (RBI) के कुछ नियम हैं जिनमें से एक है रेपो रेट. बैंकों के पास जब पैसों की कमी हो जाती है तो वह आरबीआई से उधार लेती है. आरबीआई जिस ब्याज दर पर बैंक को ये पैसे उधार देती है वह ‘रेपो रेट’ कहलाता है.


महंगाई रोकने में इसकी भूमिका

क्योंकि बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव महंगाई रोकने में सबसे बड़ा कारक है जो वस्तुओं की मांग बढ़ा देता है और मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने के कारण उसकी कीमत भी बढ़ जाती है. इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाती है. इसे कम करने के लिए सबसे जरूरी है बाजार में पैसों के इस अत्यधिक बहाव को कम करना. इसके लिए आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) रेपो रेट और सीआरआर में कमी और बढ़त करती है. सीआरआर पर चर्चा हम अगले पोस्ट (सोमवार) में करेंगे, यहां रेपो रेट की चर्चा हो रही है.


जैसा कि ऊपर कहा गया है रेपो रेट बाजार से अत्यधिक मनी (money) के बहाव को कम करने का आरबीआई का एक टूल है. यहां बताना जरूरी है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ा देने से बैंकों को आरबीआई द्वारा मिलने वाली उधार राशि पर ब्याज (Interest Rate) बढ़ जाता है. ब्याज बढ़ने से बैंक भी आम लोगों को दिए जाने वाले उधार (Loan) का ब्याज बढ़ा देता है. ब्याज बढ़ने के कारण या तो उपभोक्ता बैंक से उधार लेते नहीं या लेते भी हैं तो कम राशि लेते हैं. इस तरह उपभोक्ताओं की राशि भी कम होने के कारण वे अन्य वस्तुओं को भी या तो कम खरीदते हैं या नहीं खरीदते. ऐसे में खपत से ज्यादा आपूर्ति होने की स्थिति पैदा हो जाती है और वस्तुओं के जल्दी खपत के लिए उनकी कीमतें कम हो जाती हैं ताकि उपभोक्ता इसे खरीदें. वस्तुओं के दाम घट जाने के बाद आरबीआई रेपो रेट वापस कम कर देती है. इस तरह महंगाई कम होकर बाजार अपनी पूर्व स्थिति को पा लेता है.


इसी क्रम में अभी 3 मई को आरबीआई ने बढ़ी मंहगाई को कम करने के लिए बढ़े हुई रेपो रेट 7.25 प्रतिशत में 0.25 प्रतिशत की कमी की है जबकि सीआरआर पूर्ववत 4 प्रतिशत ही है. रेपो रेट में यह कमी भी बहुत थोड़ी कमी है. आरबीआई की योजना है कि अगले वर्ष मार्च तक बढ़ी हुई मंहगाई दर (5.5%) को कम कर कम से कम 5 प्रतिशत किया जा सके.

क्रमश:……………

Tags: Demand and Supply, savings, Excess flow of money, (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) RBI, Interest Rate, Loan, money, मंहगाई दर, the monetary policy review, RBI, current financial year, CRR, inflation, BSE Sensex, RBI Governor D Subbarao, stock market, monetary policy action, interest rate.


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