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अचल संपत्ति खरीदनी हो तो ध्यान दें

अर्थ विमर्श
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propertyगौरव ने 50 लाख में नया फ्लैट खरीदा. 50 लाख तो ठीक था, एक अच्छा फ्लैट खरीदने के लिए यह कीमत चुकाने के लिए वह तैयार था पर फ्लैट के पंजीकरण के लिए और पैसे चुकाना उसे फालतू लग रहा था. इसलिए इससे बचने के लिए उसने एक उपाय सोचा. पंजीकरण प्रक्रिया में उसने मकान विस्तार और उसकी कीमत कम दर्ज की जिससे उसकी पंजीकरण राशि भी कम हो गई. उस वक्त तो वह बहुत खुश हुआ पर आज अपनी इस छोटी-सी भूल की उसकी मुश्किल बनी हुई है.


जी हां, मकान बनाने के लिए जमीन खरीदनी हो, या छोटा-बड़ा कोई फ्लैट, किसी बिजनेस के लिए छोटी सी दुकान खरीद रहे हों या किसी मॉल में कोई बड़ा सी शॉप, नियमानुसार आपको अपनी चल-अचल संपत्ति का पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) करवाना पड़ता है. आपकी संपत्ति की कीमत, जमीन के क्षेत्रफल आदि के आधार पर तय की जाने वाली यह रजिस्ट्रेशन राशि अलग-अलग परिस्थियों में अलग-अलग होती है. कई बार संपत्ति खरीदार पंजीकरण शुल्क बचाने के लिए संपत्ति की राशि या क्षेत्रफल के संबंध में गलत जानकारियां देते हैं, मसलन जमीन का आकार कम बताना, खरीद की राशि कम बताना आदि, ताकि पंजीकरण राशि कम देनी पडे. पर अब आप अगर किसी भी प्रकार की संपत्ति की खरीद में पंजीकरण शुल्क बचाने के लिए ऐसी गलत जानकारियों का सहारा लेते हैं तो मुश्किल में पड सकते हैं. आपकी इस गलत जानकारी के बावजूद आपको पंजीकरण की सही कीमत तो चुकानी ही पड़ेगी, साथ ही जानकारी छुपाने के लिए जुर्माना भी लगाया जा सकता है.


गौरतलब है कि आपसी अनुबंधों एवं अन्‍य दस्‍तावेजों की प्रामाणिकता हेतु दस्‍तावेजों के पंजीकरण हेतु बनाए गये कानून भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के आधार पर ही भूमि एवं भवनों के क्रय-विक्रय संव्‍यवहारों के दस्‍तावेजों का पंजीयक एवं उप पंजीयक कार्यालयों में पंजीयन होता है. पंजीकरण के पूर्व पंजीकरण करने वाले अधिकारी को दस्‍तावेजों में उल्‍लेखित भूमि व भवन या सम्‍पत्ति के वास्‍तविक विवरण का सत्‍यापन करना होता है. इसी सत्‍यापन के आधार पर दस्‍तावेजों में लगाए जाने वाले स्‍टाम्‍प व देय शुल्‍क का आंकलन हो पाता है व पक्षकारों के हक का पोषण भी हो पाता है. इस कानून के अनुसार चल या अचल संपत्ति खरीदते हुए बाजार के वर्तमान मूल्य के अनुसार ही पंजीकरण राशि अदा करनी होती है पर शुल्क बचाने के लिए खरीदार अकसर अपने क्षेत्र मूल्य का विवरण ही पंजीकरण प्रक्रिया में देते हैं जो मान्य नहीं है. हालांकि पंजीकरण अधिकारी पंजीकरण से पूर्व दिए गए सूचनाओं का सत्यापन करते हैं पर जमीन-मकान या अन्य संपत्तियों की बढ़ती खरीद-बिक्री के कारण यह प्रक्रिया ढीली-ढाली सी चल रही है.


अब पंजीकरण शुल्क बचाने के बढ़ते मामलों को देखते हुए कानून में बदलाव लाने के लिए सरकार पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2013 ला रही है. इस कानून के तहत लंबे समय बाद भी ऐसे मामले पाए जाने पर पंजीकरण की बकाया राशि के रूप में खरीदारों से पूरा पंजीकरण शुल्क वसूला जाएगा. इससे ऐसे मामलों में कमी भी आएगी और राजस्व भी बढ़ सकेगा. अब तक यह प्रावधान था कि पंजीकरण अधिकारी पंजीकरण करने से मना नहीं कर सकता पर इस विधेयक के अनुसार गलत जानकारी पाए जाने पर पंजीकरण अधिकारी संपत्ति विशेष को पंजीकृत करने से मना भी कर सकता है. साथ ही आपके मकान या किसी भी संपत्ति के पंजीकरण के कितने भी साल हुए हों, जितना कम शुल्क आपने अदा किया है, उतनी राशि आपको अदा करनी पड़ेगी. इससे इनकार करने पर आपको कोर्ट के चक्कर भी लगाने पड़ सकते हैं और आपको इसके लिए जुर्माना भी देना पड़ सकता है.

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