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नए बैंकों के लिए आरबीआई (RBI) के नए नियम

अर्थ विमर्श
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने निजी क्षेत्र में नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए 22 फरवरी, 2013 को दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें बैंकों को लाइसेंस देने की शर्तों का उल्लेख था. इसके बाद बैंकिंग लाइसेंस (Banking License) से जुड़े सैंकड़ो सवाल आरबीआई (RBI) के पास पहुंचे थे. ज्यादातर कंपनियां असंचालित वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) के ढांचे के बारे में जानना चाहती थीं जिसे आरबीआई (RBI) ने अनिवार्य शर्तों में शामिल किया था. अत: 3 मई, 2013 को आरबीआई (RBI) ने इन बैंकों के सवालों को हल करते हुए सम्मिलित स्पष्टीकरण जारी किया. पाठकों की जानकारी के लिए यहां इनमें से प्रमुख क्रमवार दिए जा रहे हैं:

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बैंकिंग लाइसेंस (Banking License) की समय सीमा में बढ़त: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने नए वित्तीय निजी बैंकों को लाइसेंस संबंधी स्पष्टीकरण में बैंकिंग लाइसेंस (Banking License) की अवधि 12 माह से 18 माह कर दी है. इस नियम के अनुसार पहले बैंकों को लाइसेंस मिलने के एक साल के भीतर बैंक खोलना अनिवार्य था, अन्यथा उनका लाइसेंस रद्द कर दिए जाने का प्रावधान था. इस स्पष्टीकरण में आरबीआई (RBI) ने यह समय सीमा 18 महीने कर दी है.


अपने क्षेत्र के नियामकों की लेनी होगी मंजूरी: आरबीआई (RBI) ने साफ कहा है कि इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) और बीमा क्षेत्र की कंपनियों को अपने क्षेत्र के वित्तीय नियामकों सेबी और इरडा की मंजूरी लेना जरूरी होगा. इसके साथ ही गैर परिचालन वित्तीय होल्डिंग कंपनियों (एनओएफएचसी) के लिए भी क्षेत्रीय नियामकों की राय आरबीआई (RBI) से ऊपर मानी जाएगी. आरबीआई (RBI) के अनुसार यह नए बैंक के लिए लाइसेंस जारी करने में सबसे महत्वपूर्ण पक्ष होगा.


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500 करोड़ का कैपिटल आवश्यक: आरबीआई (RBI) ने नए बैंक के लिए लाइसेंस पाने के लिए आवेदक कंपनियों को 500 करोड़ कैपिटल रखना आवश्यक करार दिया है. इसके साथ ही वित्तीय अथवा गैर वित्तीय क्षेत्रों में कम से कम 10 वर्ष का कार्यानुभव होना चाहिए.


कारोबारी रोड मैप: बैंक लाइसेंस (Banking License) के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों के लिए आवश्यक होगा कि आवेदन पत्र के साथ ही अपने बिजनेस का रोड मैप दे दें. आरबीआई (RBI) के अनुसार कंपनियों को सीएसआर एवं एसएलआर में किसी भी प्रकार की कोई रियायत नहीं दी जाएगी.


25 प्रतिशत गैर बैंकिंग क्षेत्रों में अनिवार्य शाखाएं: आरबीआई (RBI) निजी क्षेत्रों को बैंकिंग लाइसेंस (Banking License) देने की योजनाओं के साथ ग्रामीण तथा लाभ रहित क्षेत्रों के विकास की योजना भी बना रही है. इसलिए आरबीआई (RBI) ने निजी क्षेत्र की वित्तीय कंपनियों को बैंक लाइसेंस देने के लिए यह अनिवार्य शर्त रखी है कि कम से कम 25 प्रतिशत ग्रामीण शाखाएं खोलना जरूरी है.


स्पष्टीकरण में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए कहा गया है कि जिन एनबीएफसी में 51 फीसदी से ज्यादा वोटिंग इक्विटी राइट हैं और वे खुद को बैंक में बदलना या नया बैंक खोलना चाहती हैं, उन्हें अपना सारा वित्तीय कारोबार नई फाइनेंशियल कंपनी में ट्रांसफर करना पड़ेगा. एनआरआई के पास किसी भी कंपनी में 5 फीसदी पेड अप वोटिंग इक्विटी कैपिटल का अधिकार है.


विदेशी शेयरिंग: आरबीआई (RBI) के नियमों के अनुसार कंपनियों को सुनिश्चित करना होगा कि पहले पांच वर्षों में विदेशी शेयरहोल्डिंग 49 प्रतिशत से ज्यादा न हो.


2010-2011 के अनुमानित आँकड़ों के अनुसार भारतीय उच्च वर्ग तथा मध्यम वर्ग के आय समूह जहां 45 प्रतिशत बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठाते हैं, वहीं निम्न आय वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्रों में केवल पांच प्रतिशत लोग बैंकिंग सुविधा का लाभ लेते हैं. रिजर्व बैंक इन नए बैंकिंग लाइसेंस (Banking License) प्रावधानों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं को पहुंचाने की कोशिश में है.

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