Menu
blogid : 318 postid : 588631

जीडीपी आपको भी प्रभावित करती है

अर्थ विमर्श
अर्थ विमर्श
  • 173 Posts
  • 129 Comments

जीडीपी किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को समझने का सबसे अच्छा तरीका है. जीडीपी का अर्थ है सकल घरेलू उत्पाद (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) जो एक दी हुई अवधि में किसी देश में उत्पादित, आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त अंतिम माल और सेवाओं का बाजार मूल्य है. यह एक आर्थिक संकेतक है जो देश के कुल उत्पादन को मापता है. देश के हर व्यक्ति और उद्योगों द्वारा किया गया उत्पादन भी इसमें शामिल है. प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी पर कैपिटा) सामान्यतया किसी देश के जीवन-स्तर और अर्थव्यवस्था की समृद्धि सूचक माना जाता है.


कैसे मापते हैं जीडीपी?

how gdp growth rate effect common people indiaकिसी भी देश की जीडीपी को मापना जटिल है पर बुनियादी तौर पर यह दो तरीकों से की जा सकती है. पहला, आय के दृष्टिकोण से. इसमें प्रति व्यक्ति एक साल में अर्जित की जा रही धन राशि देखी जाती है. दूसरा है व्यय विधि जिसमें अनुमानत: साल में हुए कुल खर्च का आंकड़ा देखा जाता है. तार्किक रूप से, दोनों उपाय लगभग एक ही कुल में आने चाहिए. आय के दृष्टिकोण से जीडीपी की गणना में कर्मचारियों, निगमित और गैर निगमित कंपनियों के सकल लाभ (ग्रॉस प्रॉफिट), कामगारों और सब्सिडी के लिए कुल मुआवजा को लिया जाता है. व्यय विधि में कुल खपत, निवेश, सरकारी खर्च और शुद्ध निर्यात को जोड़कर गणना की जाती है.


पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है या घट रही है इसी आधार पर जीडीपी को मापा जाता है. उत्पादन पहले की चौथाई होने का अर्थ है जीडीपी की वृद्धि दर नकारात्मक है. यह जहां एक मंदी का संकेत है, वहीं लंबे समय तक समान स्थिति रहना देश की अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक होता है, जो बाद में अवसाद (डिप्रेशन) में बदल जाता है. जीडीपी बहुत अधिक होना भी अच्छा संकेत नहीं है. यह इन्फ्लेशन का कारण बन सकता है. आदर्श सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 2-3% के बीच होनी चाहिए.

Read: क्या हैं एनएसई, बीएसई, निफ्टी और सेंसेक्स?


कैसे प्रभावित करता है जीडीपी आपको

आर्थिक उत्पादन और विकास जो जीडीपी का प्रतिनिधित्व करता है, अर्थव्यवस्था में लगभग हर किसी पर एक बड़ा प्रभाव डालता है. उदाहरण के लिए, जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो व्यवसायों से बढ़ती अर्थव्यवस्था को पूरा करने के लिए श्रम की मांग के रूप में आप आम तौर पर कम बेरोजगारी और वेतन वृद्धि देखेंगे. जीडीपी बढ़ने और घटने दोनों ही स्थिति में यह शेयर बाजार पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है. इसकी मुख्य वजह यह है कि एक कमजोर अर्थव्यवस्था में स्टॉक की कीमतें स्वयं ही कम हो जाती हैं जो कंपनियों के लिए कम लाभकारी होता है. नकारात्मक जीडीपी (नेगेटिव जीडीपी) निवेशकों के लिए एक चिंता का विषय बन जाती है क्योंकि नकारात्मक जीडीपी यह निर्धारित करता है कि देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. इस समय देश में उत्पादन कम हो जाता है, बेरोजगारी बढती है और हर व्यक्ति की वार्षिक आय भी इससे प्रभावित होती है.

Read:

गिरता रुपया निवेशकों को दूर ले जाएगा

गिरता रुपया निवेशकों को दूर ले जाएगा-2

रुपया 69 की सीमा पर: सेंसेक्स रोया, सोना हंसा

GDP Effect on Common People

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh