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अगर भविष्य निधि समझकर आप सोना खरीदने हैं तो वह आ गया है जब आप इसे अपने लाभ के लिए उपयोग कर सकते हैं. सरकार आयात घटाने के लिए आम लोगों से पीली धातु यानी सोने की खरीद करने पर विचार कर रही है. आम लोगों से सोना खरीदकर इसे इसे रिफाइनरों को बेचा जाएगा. इससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी और रुपये की कमजोरी को दूर करने में मदद मिलेगी. यह खरीदारी वाणिज्यिक बैंकों के जरिये की जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक के पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत जल्द ही इस योजना की शुरुआत की जानी है. बैंकों को सोने के गहने, सिक्के और बार खरीदने के लिए निर्देश दिए जाएंगे. इसपर अभी विचार-विमर्श जारी है. सूत्रों का कहना है कि बैंक इनकी खरीद पर ज्वेलरों की तुलना में ज्यादा कीमत देंगे. आमतौर पर जब लोग पुराना सोना बेचने ज्वेलरों के पास जाते हैं तो वे इसका दाम उस दिन के भाव के मुकाबले कम लगाते हैं. अगर ज्वेलर मौजूदा भाव पर खरीदने को तैयार भी हो जाता है तो मिलावट या डस्ट का तर्क देकर कुछ फीसद की कटौती कर लेता है. खासकर तब कटौती और ज्यादा होती है जब आपने गहने खरीदे किसी और दुकान से हों और बेचने कहीं और जाएं. यह कटौती 10 से 30 फीसद तक हो सकती है. ऐसे में यह योजना कारगर साबित हो सकती है.
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सरकारी अनुमान के मुताबिक देश में करीब 31 हजार टन सोना मौजूद है. मौजूदा भाव पर इसका मूल्य 1400 अरब डॉलर से ज्यादा है. भारत विश्व में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता और आयातक है. यहां इसका उत्पादन बहुत कम होता है. इसलिए देश इसके आयात पर ही निर्भर है. पिछले साल 860 टन सोने का देश में आयात हुआ था. हर साल इसका आयात बढ़ने से इस गैर उत्पादक वस्तु पर भारी मात्र में विदेशी मुद्रा खर्च होती है. इससे चालू खाते का घाटा बढ़ रहा है. साथ ही देश में डॉलर आने की रफ्तार घटने से रुपया लगातार कमजोर हो रहा है.
साभार: jagran.com
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