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त्यौहारों के मौसम में जहां लोग आम घरेलू जरूरतों में बचत कर त्यौहारों की शॉपिंग करते हैं वहीं आज इनकी जेबें खाली हो रही हैं.. लोग बचत करें भी तो कहां यह समझना जरा मुश्किल है. बचत के नाम पर आम आदमी के लिए तो मुश्किलें हैं ही निचले स्तर के हर आदमी के पर्व का स्वाद कड़वा करने के लिए यह खबर काफी है.
तमाम बढ़े हुए दामों से परेशान उपभोक्ता इसमें अपने बजट को कैसे फिट करेंगे यह सोचना उनका काम है क्योंकि रेल किराया पहले ही बढ़ा हुआ है इसके साथ ही अब थोड़ा काबू में आया प्याज का दाम फिर से बढ़ गया है. प्याज के दामों में बढोत्तरी के साथ ही सब्जियों और फलों के दाम भी बढ़े हुए हैं. प्याज के दामों में हो रही निरंतर वृद्धि वास्तव में चौंकाने वाले हालात पैदा कर रहे हैं. अभी तक 50-60 रु. प्याज हाहाकार का विषय माने जाते थे लेकिन इस साल इससे भी ऊपर जाते हुए प्याज 70-80 रु. की कीमत तक पहुंच गया. हालांकि प्याज के इस बढ़ते रुख में नरमी के आसार दिखने लगे थे और प्याज की कीमतें घटने लगी थीं लेकिन एक बार फिर यह सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 100 रु. प्रति किलोग्राम के मूल्य को छू रहा है. आम आदमी को रुलाती प्याज की झांस इनके गले की हड्डी बन गई लगता है.
प्याज की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि वास्तव में आश्चर्यजनक हैं क्योंकि इतने दिनों तक प्याज के दाम लगातार बढ़े रहना सरकारी अक्षमता का परिचायक बन रहा है. सभी जानते हैं कि फाइव स्टार होटलों से लेकर झुग्गी-झोपड़ियों तक हर किसी के प्लेट में प्याज अति आवश्यक है. खासकर गरीब तबके के लिए आलू-प्याज उनकी मूलभूत जरूरतों में गिना जाता है. बावजूद इसके सरकार की तरफ से इसमें कमी लाने की कोई खास कोशिश नजर नहीं आती. हां, घोषणाओं के रूप में जरूर प्याज के दाम बड़ा मुद्दा बन रहे हैं.
दीवाली के मौके पर जब लोगों के पास पहले ही तमाम तरह के खर्च होते हैं उन्हें प्याज जैसी रोजमर्रा की चीजों में अपना बजट बिगाड़ना पड़ रह है. ऐसा नहीं है कि प्याज की कमी के कारण यह स्थिति पैदा हुई है बल्कि स्थिति का फायदा उठाते हुए जमाखोरी इसकी बड़ी वजह है. हालांकि महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में बिन मौसम बरसात के कारण प्याज की खरीफ फसल में नुकसान होने के कारण भी इसकी कीमतों में कुछ वृद्धि हुई है लेकिन पूरी तरह यह इस स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं है.
पिछले कई महीनों से प्याज की इस बढ़ी हुई कीमत से आम आदमी परेशान है लेकिन सरकार ने इसके लिए कोई खास ऐक्टिवनेस नहीं दिखाई. आज जब यह सारी हदें पार करते हुए 100रु. प्रति किलो पर पहुंच गया है और चुनाव सर पर है तो सरकार जैसे नींद से जागी हो. खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस प्याज की कीमतों में कमी लाने के लिए कृषि मंत्री से मंत्रणा कर उपाय निकाले जाने की बात कर रहे हैं. पहली बार सरकार ने यह भी माना कि प्रदेश में प्याज की कमी के कारण इसकी कीमतें नहीं बढ़ रहीं बल्कि जमाखोरी इसका बड़ा कारण है. गौरतलब है कि दिल्ली के अलावा अन्य कई राज्यों में भी प्याज की कीमतों के ऐसे ही हालात हैं. दिल्ली की मंडी में जहां प्याज अलवर (राजस्था) इंदौर (मध्य प्रदेश) से आता है से आयात बाधित होने की बात कही जा रही थी लेकिन इसके अलावे अन्य कई मंडियों में भी ऐसे ही हालात दिखे और सरकार को मजबूरन अब इसमें सफाई देनी पड़ रही है. लेकिन सरकारी कदम उठाने की बात तब कही जा रही है जब त्यौहार की खरीदारी के लिए लोग अपना बजट बना रहे हैं और इसके कारण उन्हें इसमें कई कटौतियां करनी पड़ रही हैं.
बहरहाल आने वाले 10-15 दिनों तक प्याज के दाम कम होने के आसार नहीं हैं लेकिन हां सरकार इतना जरूर कह रही है कि इसके बाद हालात सामान्य हो जाएंगे और दीवाली पर लोग प्याज का स्वाद भी खाने में ले सकेंगे. स्थिति जो भी हो दीवाली का जायका तो पहले ही लगातार बढ़ती महंगाई से बिगड़ी हुई थी प्याज ने इसे और कड़वा कर दिया है.
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