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एक तरफ मंदी के नाम पर लोगों की जेबें कट रही हैं तो दूसरी तरह इस मंदी ने अरबपतियों के लिए धन कमाने और धन बढ़ाने का मौका सबित हुई है. इस मंदी के दौर में भी अरबपतियों की संपत्ति में इतना इजाफा हुआ है कि उनकी संख्या रिकॉर्ड 2,170 पर पहुंच गई. मजेदार बात यह है कि वर्ष 2009 में जब ग्लोबल वित्तीय संकट अपने चरम पर था तब से लेकर अब तक रईसों की संख्या 810 बढ़ी है. साथ ही इनकी कुल संपत्ति उस समय के मुकाबले बढ़कर दोगुने से भी ज्यादा हो गई है.
वेल्थ-एक्स और यूबीएस की वर्ष 2013 के अरबपतियों के सूचकांक में उन लोगों को शुमार किया गया है जिनकी संपत्ति 30 करोड़ डॉलर या इससे ज्यादा है. सूचकांक के मुताबिक, वर्ष 2013 में अरबपतियों की संख्या में सबसे तेज बढ़ोतरी एशिया में ही हुई है. इस दौरान इस क्षेत्र में 18 नए अरबपति शामिल हुए हैं. यहां दौलतमंदों की संख्या इससे पिछले साल के मुकाबले 3.7 फीसद बढ़ी है. वहीं, इनकी संपत्ति में 13 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया है. वहीं, ग्लोबल स्तर पर इनकी संख्या नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई है.
इन रईसों की कुल संपत्ति 65 खरब डॉलर हो गई है. यह वर्ष 2009 में 31 खरब डॉलर थी. इनकी संपत्ति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यह अमेरिका के बजट घाटे को वर्ष 2024 तक पाटने के लिए पर्याप्त है.
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इसके अलावा अमेरिका और चीन को छोड़कर बाकी किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से कहीं ज्यादा है. इन 2,170 दौलतमंदों के पास औसतन तीन अरब डॉलर की संपत्ति है. रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में सबसे ज्यादा 766 अरबपति हैं. वहीं, अमेरिकी अरबपतियों के पास सबसे ज्यादा 2,158 अरब डॉलर की संपत्ति है. वहीं, एशिया में अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (यूएचएनआइ) की संख्या 44,505 है. इनके पास कुल 6,590 अरब डॉलर की संपत्ति है. यूएचएनआइ में वे लोग भी शामिल हैं जिनके पास 30 करोड़ डॉलर से कम संपत्ति है. इनमें से 60 फीसद अरबपतियों ने खुद की बदौलत संपत्तियां बनाई हैं, जबकि 40 फीसद को विरासत में मिली है.
साभार: jagran.com
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