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भारत की साम‌र्थ्य को लेकर हम निराशावाद के दौर से गुजर रहे हैं – रघुराम राजन

अर्थ विमर्श
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raghuram rajanदेश में निराशा का मौजूदा माहौल न सिर्फ निर्णय प्रक्रिया को सुस्त कर रहा है, बल्कि यह आर्थिक विकास की संभावनाओं का पूरा लाभ भी नहीं लेने दे रहा है. ऐसे वातावरण में बदलाव के लिए रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन ने सार्थक और कारगर कदम उठाने का आह्वान किया. वह शुक्रवार को यहां बैंकिंग उद्योग के सम्मेलन बैंकॉन 2013 को संबोधित कर रहे थे.


राजन ने कहा कि भारत की साम‌र्थ्य को लेकर हम निराशावाद के तगड़े दौर से गुजर रहे हैं. यह विदेशी प्रेस और उनके पाठकों -दर्शकों तक ही सीमित नहीं रह गया है. अब यह हमारी घरेलू चर्चाओं और बहसों में भी घुस आया है. हर नीति को शक की निगाह से देखा जा रहा है. हर फैसले के पीछे गलत मंशा के सुबूत तलाशे जा रहे हैं.


फैसले लेने के सकारात्मक पहलू और लाभों पर किसी की नजर ही नहीं है. ऐसे में कोई ताज्जुब नहीं कि निर्णय लेने की प्रक्रिया सुस्ती का शिकार बन गई है. मगर इसका समाधान सुस्ती या निष्क्रियता से नहीं, बल्कि सक्रियता से निकलेगा. यह सक्रियता भी ऐसी हो, जो सार्थक, निष्पक्ष व कारगर हो और इसे लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए.


उन्होंने स्पष्ट किया कि गलतियां तो होंगी, लेकिन यदि साफ-सुथरी सक्रियता और फैसले बढ़ते जाएंगे, तो समाज में छा चुकी संदेह की गर्द को उड़ने में देर नहीं लगेगी.

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राजन ने केंद्रीय बैंक की वित्तीय क्षेत्र नीति के पांच खंभों को जिक्र करते हुए कहा कि अगले कुछ हफ्तों में बैंकों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे. इनमें फंसने वाले कर्जो को पहले ही पहचान लेने व उनकी कारगर वसूली से संबंधित उपाय शामिल होंगे.


आरबीआइ बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़ाने के लिए भी कदम उठाएगा. उन्होंने ऊंची ब्याज दरों के लिए महंगाई को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि मांग घटाने की कोशिश की जाएगी, मगर यह ध्यान रखा जाएगा कि आपूर्ति और निवेश पर विपरीत असर न पड़े.


18 दिसंबर को केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा पेश करेगा. उस वक्त महंगाई को देखते हुए ब्याज दरों को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा. राजन के मुताबिक, ग्राहकों के हित में आरबीआइ ने बी संबामूर्ति कमेटी बनाई है. यह समिति भारत में किसी भी तरह हैंडसेट में एन्क्रिप्टेड एसएमएस आधारित फंड ट्रांसफर के जरिये मोबाइल बैंकिंग के विस्तार पर सुझाव देगी.


”भारत की साम‌र्थ्य को लेकर हम निराशावाद के तगड़े दौर से गुजर रहे हैं… हर नीति को शक की नजर से देखा जा रहा है. हर फैसले के पीछे गलत मंशा के सुबूत खंगाले जा रहे हैं.” -रघुराम राजन, गवर्नर, रिजर्व

साभार: jagran.com

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