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अब पेट्रोल की कीमतें कम होंगी!

अर्थ विमर्श
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Deal Between Tehran And Six World Powersमहंगाई की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था और आम आदमी के लिए यह एक सुखद खबर हो सकती है कि अब पेट्रोल की कीमतों में कमी आएगी. ईरान के साथ परमाणु प्रसार से संबंधित समझौते के बाद ईरान से क्रूड ऑयल निर्यात पर प्रतिबंधों में कमी आने के बाद विश्व बाजार को भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत मिलेगी.


गौरतलब है पेट्रोलियम पदार्थों का उत्पादन हमारे देश में नहीं होता और इनके आयात पर भारत सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय मुद्रा की कीमतों में आई गिरावट को स्थिर करने में यह एक सबसे बड़ी बाधा है. विदेशी मुद्रा की एक बड़ी राशि सिर्फ पेट्रोलियम आयात में जाना देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा संकट है और महंगाई को कम करने में सबसे बड़ी दिक्कत है. ईरान के साथ इस समझौते के बाद भारत उससे ज्यादा मात्रा में पेट्रोलियम पदार्थों का आयात कर सकता है.


भारत में महंगाई को किस तरह प्रभावित करेगा यह समझौता?

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक बड़ी बात यह है कि यहां व्यापार की मुद्रा डॉलर है. किसी भी आयात-निर्यात का मूल्य डॉलर में ही चुकाना होता है. क्रूड ऑयल और गैस के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी यही नीति लागू होती है. ईरान से क्रूड ऑयल और गैस के आयात से भारत को फायदा यह है कि ईरान एकमात्र ऐसा देश है जो डॉलर के साथ ही भारतीय मुद्रा ‘रुपया’ भी स्वीकार करता है. इस तरह कई प्रकार से यह समझौता भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भी महत्त्वपूर्ण है:

ईरान से ज्यादा से ज्यादा पेट्रोलियम का आयात कर भारत अपनी विदेशी मुद्रा बचा सकता है.

-विदेशी मुद्रा बचाकर रुपया मजबूत होगा.

-रुपया मजबूत होने से महंगाई को कम करने में भी हम बहुत हद तक सक्षम हो सकेंगे.

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इस समझौते का एक और महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि ईरान तेल उत्पादन और निर्यात पर लगे प्रतिबंधों के एक सीमा तक हटने से तेल और गैस के मूल्यों में कमी करेगा. प्रतिबंधों के कारण घाटा झेल रहा ईरान कम मात्रा में अपने तेल निर्यात के साथ ही अपनी महत्त्वपूर्ण जरूरतें पूरी करने के लिए विवश था. इसलिए उसे तेल की कीमतों में वृद्धि करनी पड़ी. वर्ष 2011 में जहां ईरान अपना 60 प्रतिशत क्रूड ऑयल (लगभग 2.5 मिलियन बैरल्स प्रतिदिन) एक्सपोर्ट कर रहा था, प्रतिबंधों के बाद यह केवल 1 बिलियन बैरल्स प्रतिदिन निर्यात कर सकता था. अक्टूबर में इसने मात्र 71,5000 बैरल्स प्रतिदिन एक्सपोर्ट किया. 1 मिलियन से अधिक का प्रतिदिन का ऑयल प्रोडक्शन ईरान को बंद करना पड़ा. अब प्रतिबंधों में कमी आने के साथ ही ईरान प्रतिदिन 2.5 मिलियन क्रूड ऑयल एक्सपोर्ट कर सकता है. इसके साथ ही ऑयल की कीमतों में यह कमी करेगा. सोमवार को इसमें 3 प्रतिशत कमी आई और यह 108.13 डॉलर प्रति बैरल हो गया.


भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह अच्छे आसार हैं. विशेषज्ञों की मानें तो अभी कुछ दिनों में ईरान ऑयल की कीमतों में और कमी करेगा और 108 डॉलर प्रति बैरल से यह 100 डॉलर प्रति बैरल हो सकता है. इस तरह कम कीमत में ईरान से ज्यादा मात्रा में ऑयल आयात किया जा सकता है. अभी कुछ दिनों पहले पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोईली ने कहा था कि ईरान से 100 प्रतिशत क्रूड ऑयल का आयात कर हम 8.4 डॉलर बिलियन विदेशी मुद्रा की बचत कर सकते हैं. इस समझौते के बाद भारत द्वारा इस दिशा में काम कर सकने के रास्ते खुल जाते हैं. गौरतलब है ईरान पर परमाणु हथियारों के संबंध में लगे प्रतिबंधों के कारण भारत ने भी इसके साथ तेल व्यापार में भारी कमी की. 2010-2011 में जहां हम ईरान से 18.5 मिलियन टन क्रूड ऑयल आयात करते थे, 2011-12 में इसमें कमी लाते हुए 17.4 मिलियन टन हो गया जो 2012-13 में 14 मिलियन टन है. इस समझौते के साथ ही ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन के खुलने के आसार भी नजर आ रहे हैं. इस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह समझौता जहां एक सकारात्मक पक्ष दिखा रहा है, आम आदमी के लिए यह महंगाई से थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. कम से कम पेट्रोल-डीजल की और एलपीजी की लगातार बढ़ती कीमतों से कुछ हद तक राहत की उम्मीद तो हो रही है.

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