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शेयर मार्केट की जोखिम और जटिलताएं म्यूचुअल फंड आसान करता है. ब्रोकरों की मदद से या स्वयं आप बाजार में निवेश करके अच्छे रिटर्न ले सकते हैं. म्यूचुअल फंड के किसी भी स्कीम में अब वह चाहे ओपेन एंडेड फंड हो या फिर क्लोज एंडेड फंड निवेशक के सामने निवेश करने के लिए तीन तरह की स्कीम होती हैं. पहला ग्रोथ स्कीम, दूसरा इनकम स्कीम, तीसरा बैलेंस स्कीम. जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के मुताबिक लोग इन्हीं फंडों में से किसी एक फंड का चुनाव करते हैं.
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इक्विटी फंड: इक्विटी फंडउन निवेशकों के लिए सही होगा जो लंबी अवधि के लिए पैसा लगाकर लाभ कमाना चाहते हैं. म्यूचुअल फंड की इस स्कीम के तहत आपके पैसे का प्रमुख हिस्सा शेयर में निवेशित किया जाता है. म्यूचुअल फंड में लंबे समय के लिए इक्विटी में पैसा लगाने से अच्छा रिटर्न मिलने के संभावनाएं बढ जाती हैं. जो लोग ज्यादा जोखिम उठा सकते हैं वो इस तरह के फंड का चुनाव कर सकते हैं.
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डेट फंड: इस तरह के फंड का मुख्य उद्देश्य होता है निवेशकों को सुरक्षित निवेश के जरिए लाभ प्रदान करना. आम तौर पर ऐसी योजनाओं में निवेशकों का पैसा सरकारी प्रतिभूतियों, बांड और कॉर्पोरेट डिबेंचरों में लगाया जाता है. यह फंड इक्विटी फंडों की तुलना में कम जोखिम भरे हैं. इनका इक्विटी बाजार के उतार चढ़ाव से कोई मतलब नहीं. हालांकि, इस तरह के फंडों से इक्विटी फंडों की तुलना में रिटर्न कम मिलता है.
बैलेंस फंड: बैलेंस फंड निवेश के बेहतर फंड माने जाते हैं. इस तरह के फंडों में एक निश्चित अनुपात में निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों फंडों में निवेश करते हैं. यह फंड उन निवेशकों के लिए सही है जो थोड़ा-बहुत विकास देखना चाहते हैं. हालांकि, शुद्ध इक्विटी फंड की तुलना में इस तरह के फंडों की एनएवी कम अस्थिर होने की संभावना होती है.
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