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‘जिंदगी में हर वस्तु सरलता से नहीं मिलती है, उसके लिए काम के प्रति निष्ठा और मंजिल तक पहुंचने का जुनून होना चाहिए. मैं फैसले लेता हूं बाद में उसे सही बना देता हूं’ ऐसा रतन टाटा का मानना है. उनका कहना है कि हर व्यक्ति सपने देखता है पर सपने सच उन्हीं के होते हैं जो सपनों के पीछे दौड़ते हैं और तब तक भागते हैं जब तक कि सपने सच ना हो जाएं.
28 दिसंबर साल 1937 को रतन टाटा का जन्म हुआ. उन्होंने अपनी जिंदगी को हमेशा चुनौती दी. सपने सच करने की चुनौती, मंजिल के पीछे दौड़ने-भागने की चुनौती और किसी भी हालात में हार ना मानने की चुनौती. साल 1991 में रतन टाटा को ‘टाटा’ समूह का नेतृत्व सौंपा गया था. रतन टाटा के पूर्ववर्ती ‘जेआरडी टाटा’ को उद्योगों का पुरोधा समझा जाता था. जेआरडी ने सरकारी नियंत्रण जैसे बेहद मुश्किल भरे दौर में भी न केवल कंपनी की अगुआई की थी बल्कि उसे आगे भी बढ़ाया था. लेकिन 80 के दशक के आखिर तक जेआरडी का नेतृत्व कमज़ोर पड़ने लगा था. उस समय रतन टाटा ने टाटा समूह का नेतृत्व संभाला.
टाटा समूह के ‘रत्न’ हैं रतन टाटा
रतन टाटा के सफलता पाने के टिप्स को अनुसरित करते हुए टाटा समूह अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों इंफोसिस और विप्रो की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से विकास करने लगा और जब 28 दिसम्बर, 2012 को अपने 75वें जन्मदिन के मौके पर रतन टाटा ‘टाटा उद्योग समूह’ के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तथा उत्तराधिकारी के रूप में सायरश मिस्त्री का चयन किया तो उस समय टाटा समूह की सालाना बिक्री 100 अरब डॉलर तक जा पहुंची थी.
रतन टाटा के सफलता प्राप्त करने के टिप्स
उम्मीद है कि आपको दिए गए ‘रतन टाटा के टिप्स’ आपके व्यापार और अन्य काम के लिए सफल साबित होंगे.
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