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यदि आपसे कोई कहे कि भारत में पेट्रोल/डीजल 2 रुपये सस्ता हो गया है तो चेहरे पर एक बड़ी खुशी झलकने लगेगी है. लेकिन यदि हम कहें कि पेट्रोल/डीजल केवल 2 या 3 रुपये की गिरावट पर नहीं बल्कि मात्र 10 से 20 रुपये प्रति लीटर मिलेगा, तो आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा. यह केवल कहने की बात नहीं है बल्कि एक जाने माने अमेरिकी अर्थशास्त्री ए गैरी शिलिंग का ताजा अनुमान है.
पिछले कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दामों में गिरावट देखी जा रही है, जिसके चलते धीरे-धीरे सभी बाजारों में पेट्रोल की कीमतों में कमी आई है. शिलिंग के मुताबिक आने वाले समय में डब्ल्यूटीआई (वेस्ट टेक्सास इंटरमिडिएट) क्रूड की कीमतें 10 से 20 डॉलर तक गिर सकती हैं. यदि यह संभव हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब भारत में पेट्रोल की कीमतें 10 रूपये से 20 रूपये प्रति लीटर हो जाएंगी.
अर्थशास्त्री शिलिंग की बात पर यकीन करना फिलहाल कुछ मुश्किल लग रहा है, जिसका कारण है फरवरी माह के चढ़ते ही कच्चे तेल की कीमत में 10% का इजाफा होना. जिसके बाद भारत में तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा दिये. यह बदलाव पिछले छह महीनों में पहली बार हुआ है.
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अमेरीका में तेल खपत का बेंचमार्क जहां डब्ल्यूटीआई है, वहीं दूसरी ओर यूरोप और एशिया में खपत का बेंचमार्क ब्रेंट है. यदि ताजा आंकड़ों की बात करें तो मंगलवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत 63 डॉलर प्रति बैरल थी. यह कीमत काफी समय से इसी संख्या के आसपास चल रही है लेकिन हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक वर्ष 2015 में कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे ही रहेगी.
पेट्रोल खपत में भारत की बात करें तो यहां जरूरत उम्मीद से काफी ज्यादा है. भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 80% तेल का आयात करता है. तो यह बात तो तय है कि यदि कच्चे तेल की कीमत इस साल शोध के मुताबिक घटती रही तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भारत को ही होगा.
लेकिन इस सब में क्या पेट्रोल की कीमत कम होने का कोई नुकसान भी होगा? शायद हां. यदि हम मांग और आपूर्ति के नजरिये से देखें तो जो लोग पेट्रोल की कीमत ज्यादा होने पर गाड़ी अथवा अन्य वाहन खरीदने से कतराते हैं, कीमत कम होने पर वे भी गाड़ी खरीदना शुरू करेंगे. ऐसे में गाड़ियों की मांग बढ़ जाएगी और कार कंपनियां बढ़ती मांग को देख कीमत बढ़ाएंगी. तो अंत में भारतीयों की किसी न किसी तरफ से महंगाई की मार जरूर पड़ेगी.
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बहरहाल अर्थशास्त्री शिलिंग का यह अनुमान कब साबित होगा यह कहना तो मुश्किल है लेकिन आपको बता दें कि यह सर्वे शिलिंग द्वारा अमेरिका के कमजोर वर्ग, चीन, यूरोजोन और जापान के मंदी वाले इलाके, ओपेक कार्टेल की पावर्स में कमी और रूस व वेनेजुएला जैसे देशों में आर्थिक मुसीबतों वाले क्षेत्रों पर आधारित है.
शिलिंग के अलावा अन्य कई विश्लेषकों का मानना है कि वर्ष 2015 में तेल के दाम और गिर सकते हैं. इनमें सिटीग्रुप का अनुमान 20 डॉलर प्रति बैरल, गोल्डमैन सैक्स व बार्कलेज का अनुमान 30 डॉलर प्रति बैरल है. Next….
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