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किसी कम्पनी में कोई कर्मचारी तब तक रह पाता है जब तक कि कम्पनी प्रबंधन को वो फायदेमंद लगती है. कम्पनी और उसमें बैठे प्रबंधक कई बार कुछ कर्मचारियों को ऑफिस से बाहर निकालना चाहते हैं. अनेकों बार किसी कर्मचारी को बाहर निकालने की इच्छा कम्पनी के प्रबंधकों में होती है लेकिन शर्तों-नियमों से घिरे होने के कारण वो ऐसा नहीं कर पाते. इससे निजात पाने के लिये कम्पनी ने बैनिशमेंट रूम का नया विकल्प खोज निकाला है.
असल में बैनिशमेंट रूम कम्पनी के वो विभाग होते हैं जहाँ ऐसे कर्मचारियों को स्थानांतरित किया जाता है. यह ऐसे कर्मचारियों को बाहर निकालने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है जिसमें उन्हें बेकार कामों में तब तक उलझाया जाता है जब तक कि वो खुद ही हताश होकर नौकरी छोड़ कर न चलें जायें.
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ऐसे में उन्हें सेवा का पूरा फायदा नहीं मिला पाता. कई लाभों से वो वंचित रह जाते हैं. यह भी की उन्हें उस विभाग में भेज कर कोई कार्य नहीं दिया जाता. बिना किसी काम के बैठे-बैठे कर्मचारी ऊब जाता है और अंतत: निराश होकर खुद ही नौकरी छोड़ चला जाता है.
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इस प्रक्रिया में कम्पनी कभी भी यह स्वीकार नहीं करती कि वो कर्मचारियों को निकालना चाहती है. बैनिशमेंट रूम के रूप में कम्पनी अपने विभागों को ये नाम देती हैं जैसे ‘बिजनेस एंड ह्युमैन डेवलपमैंट सेंटर’ अथवा ‘करियर डेवलपमैंट टीम’. ऐसा नहीं है कि इस नुस्खे को छोटी कम्पनियाँ ही प्रयोग में लाती हैं. ‘बैनिशमेंट रूम’ का इस्तेमाल हितैची लिमिटेड, सोनी कॉर्प, तोशिबा कॉर्प आदि कर्मचारियों को निकालने के लिये कर रही हैं. इस विधि का इस्तेमाल उन विभागों के कर्मचारियों के लिये भी किया जाता है जिनकी उत्पादकता न्यून अथवा शून्य होती हैं.Next….
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